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पापों को छोड़ो भगवंत बनो: प.पू.धैर्याश्रीजी म.सा.

पापों को छोड़ो भगवंत बनो: प.पू.धैर्याश्रीजी म.सा.

श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ कम्मनहल्ली में प.पू.धैर्याश्रीजी म.सा. ने जीवन में सधर्म की प्राप्ति के लिए प्राथमिक गुणों का होना अत्यंत आवश्यक है। धर्म तो जीवन्त वस्तु है। धर्मात्मा के जीवन की हर एक प्रवृत्ति में धर्म के जीवन्त दर्शन होते हैं।

कई लोग धर्म का लिबास पहन धर्म शासन की अवहेलना करते हैं। प.पू.आगमश्रीजी म.सा. ने बताया हम पाप करते हैं। पाप यह रोमिंग रिचार्ज की तरह है। दूज कहती है धर्म की ओर बढ़ते रहो युजेबल, सूटेबल, फैशनेबल पापों से दूर रहोगे तो आपका जीवन उज्जवल होगा।धैर्याश्रीजी ने गीतिका पेश की।

मंत्री हस्तीमल बाफना एवं सुशीलाबाई बाफना ने हरक तेले के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। अध्यक्ष विजयराज चुत्तर एवं सहमंत्री कांतिलाल सकलेचा ने सम्मान किया। संचालन सुधीर सिंघवी ने किया।

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