पनवेल जैन स्थानक मे विराजित साध्वी आभाश्री जी मा. सा. आदि ठाणा 3. ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि परिवार में मिठास कैसे लाई जाए, आज परिवार टूट रहे हैं।
मटके की कीमत मटका बनाने वाले को ही पता होती है, वैसे ही परिवार की कीमत परिवार बनाने वाले को पता रहती हैं। वस्तुशास्त्र का दोष नहीं है, घर के झगडे में दोष तो अपनी अपनी भावना में है, सोच में होता हैं।
सोच का दोष निकाले, कपड़ा फट जाता है तो उसे फेंका नही जाता है उसे सिल कर फिर ठीक कर लिया जाता है। पांचो अंगुलिया जब मिल जाती है मुठ्ठी बन जाती है और जब मुठ्ठी बन जाती है तो सबकी छुटी कर देती है।
साहवी. डा. महिमाश्री जी मा. सा. ने कहां की इंसान संसार में बंधन तोड़ने आता है पर तोडता नही है उल्टा और कितने बंधन में बांध जाता है। मनुष्य के पास भव बेधन तोड़ने का अमूल्य अवसर है। इसलिए अपने मानव जन्म को सार्थक करे। साहवीडा. श्रेयांशी श्रीने मधुर गीतिका गाई- पाठशाला के बच्चों ने भी अपने विचार रखे। तपस्या का पाठ लग रहा है 22-22-की बडी 3 तपस्या चल रही है।