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परमात्मा को पाने के पांच दिव्य सौपान- विरेन्द्र मुनि

परमात्मा को पाने के पांच दिव्य सौपान- विरेन्द्र मुनि

 गुरू विमल – पंकज जन्म दीक्षा जयंति भव्यता पूर्वक संपन्न हुई

श्रीसंघ ने भेंट की आदर की चादर 

ओटेरी- कोसापेट: स्वर्ण संयम आराधक परम पूज्य श्री वीरेन्द्र मुनि जी म. सा. एवं श्रमण संघीय उप प्रवर्तक भोले बाबा पूज्य श्री पंकज मुनि जी म. सा.आदि ठाणा व शासन प्रभाविका महासाध्वी श्री रिध्दीश्री जी म. सा. की पावन निश्रा में गुरू विमल – पंकज जन्म – दीक्षा जयंती अभिनंदन समारोह का आयोजन श्री एस. एस. जैन संघ चैरिटेबल ट्रस्ट, ओटेरी – कोसापेट के तत्वावधान में आयोजित किया गया ।

इस अवसर पर सर्व प्रथम मधुर गायक श्री रूपेश मुनि जी म. सा. ने गुरू पदम आरती का गायन करवाया, तत्पश्चात् गुरू वन्दन की विधि की गई, स्वर्ण संयम आराधक पूज्य श्री वीरेन्द्र मुनि जी म. सा. के श्रीमुख से मंगलाचरण हुआ, शासन प्रभाविका महासाध्वी श्री रिध्दिश्री जी म सा एवं श्री सिध्दिश्री जी म. सा. के श्रीमुख से सामुहिक जाप संपन्न हुआ ।

प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए, ओजस्वी वक्ता डॉ. श्री वरूण मुनि जी म. सा. ने फरमाया कोई भी आत्मा परमात्मा से मिलन करना चाहे या आत्मा से परमात्मा बनना चाहे तो उसके 5 सोपान हैं, साधना के पांच सूत्र हैं, सेवा, सहनशीलता, समता, सरलता, स्वार्थ त्याग की वृत्ति होना, जिस व्यक्ति में ये पांच सद्गुण होते हैं उसका आत्मा, शुध्द – विशुध्द होते हुए एक दिन परम तत्त्व परमात्म तत्त्व से साक्षात्तकार कर लेता है।

 

हमारे परम पूज्य तपस्वी रत्न श्री विमल मुनि जी म. सा. एवं सेवा सुमेरू भोले बाबा पूज्य श्री पंकज मुनि जी म. सा. दोनों ही महापुरुषों के जीवन में ये सद्गुण हमें सहज ही देखने को प्राप्त होते हैं।

शासन प्रभाविका महासाध्वी श्री रिध्दिश्री जी म. सा. ने फरमाया कि ऐसे महापुरुषों का गुणगान करने का हमें सौभाग्य प्राप्त हुआ है, इनके जीवन में जो सद्गुण हैं, उनका हम आचरण करें तभी महापुरुषों की जयंती मनाना सार्थक होगा। मधुर गायिका महासाध्वी श्री सिध्दिश्री जी म. सा. ने गुरू भक्ति स्तवन प्रस्तुत किया।

स्वर्ण संयम आराधक परम पूज्य श्री वीरेन्द्र मुनि जी म. सा. ने फरमाया कि आराध्य गुरुदेव पूज्य श्री विमल मुनि जी म. सा. जैन दिवाकर रत्न थे, उनका जीवन सभी के लिए प्रेरणा स्रोत था, आज मैं जो कुछ भी हूं उन्हीं की कृपा से हूँ । उन्होंने अनेकों भव्य आत्माओं को भव सागर से पार होने के लिए और सही ढंग से सम्यक् जीवन जीने के लिये लाखों लोगों को प्रेरित किया, इसी के साथ हमारे स्नेही साथी आत्मीय प्रिय आदरणीय श्री पंकज मुनि जी म. सा. जिनका जीवन पंकज के समान अर्थात् कमल के समान निर्लिप्त है सरलता, सहजता, मधुरता, आपके जीवन के विशिष्ट सद्गुण हैं। अनेकों बार आपसे मधुर मिलन हुआ, अनेकों बार बहुत निकट से आपको देखने का अवसर प्राप्त हुआ, आपका जीवन सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है । आप स्वस्थ रहें, दीर्घायु हों ये ही शासनेश प्रभु से मंगलकामना करते हैं।

इस अवसर पर पूना से विशेष रूप से पधारीं तप सम्राज्ञी सुश्राविका मीरा बाई जी लुणिया, का शॉल – माला के द्वारा श्रीसंघ की ओर से अभिनंदन किया गया। संघ के अध्यक्ष श्री प्रकाश जी गुगलिया, उपाध्यक्ष श्री महेन्द्र जी मरलेचा, महामंत्री श्री सुरेश जी बोरा कोषाध्यक्ष श्री प्रकाश जी भण्डारी एवं सहमंत्री श्री कमल जी मरलेचा आदि सभी पदाधिकारियों ने पूज्य गुरुदेव का आदर की चादर भेंट कर अभिनंदन किया।

इस अवसर पर सहूकारपेठ, विलिवाकम, एम. एम. डी. ए. कॉलोनी, टी. नगर व ओटेरी – कोसापेट से बड़ी संख्या में श्रद्धालु गुरूभक्त भाई – बहनों ने सामायिक – साधना के द्वारा अपनी गुरू भक्ति की भेंट अर्पित की।

अंत में स्वर्ण संयम आराधक पूज्य श्री वीरेन्द्र मुनि जी म. सा. के श्रीमुख से संक्रांति का मंगलकारी जाप एवं मंगलपाठ के द्वारा धर्म सभा का समापन हुआ। श्रीसंघ की ओर से गौतम प्रसादी का आयोजन किया गया।

विद्याभिलाषी श्री लोकेश मुनि जी म. सा. ने बताया पूज्य गुरूभगवन्त सुखे समाधे 22 जनवरी को प्रात: यहां से विहार कर अन्ना नगर पधारेंगे और वहां से फिर अंबत्तूर पहूंचने की गुरुदेव श्री की भावना है।

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