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परमात्मा की भक्ति श्रद्धा और समर्पण भाव से करनी चाहिए : भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि

परमात्मा की भक्ति श्रद्धा और समर्पण भाव से करनी चाहिए : भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि

धार्मिक उत्साह और भक्ति के वातावरण में श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर में प्रवचन सभा का आयोजन किया गया। चातुर्मास हेतु विराजित भारत गौरव डॉ. श्री वरुण मुनि जी म.सा. ने मंगलवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि परमात्मा की सच्ची भक्ति वही है, जो पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और आत्मसमर्पण के भाव से की जाए। उन्होंने कहा कि भक्ति केवल पूजा-पाठ या अनुष्ठान का विषय नहीं, बल्कि आत्मा की गहराइयों में उत्पन्न होने वाली वह भावना है, जो मनुष्य को परमात्मा के समीप ले जाती है।

मुनि श्री ने अपने आशीर्वचन में कहा कि जब मनुष्य अपने अहंकार, क्रोध और मोह को त्यागकर प्रभु के चरणों में शरणागत होता है, तभी उसका जीवन सफल और सार्थक बनता है। उन्होंने श्रद्धालुओं को संदेश दिया कि प्रतिदिन कुछ समय प्रभु-स्मरण, ध्यान और सत्कर्मों में व्यतीत करें, जिससे जीवन में शांति, संतोष और आनंद की प्राप्ति हो सके।

कार्यक्रम के दौरान मधुर वक्ता रूपेश मुनि जी म.सा. ने अपने सुरम्य स्वर में भक्ति रस से ओतप्रोत भजनों की मनमोहक प्रस्तुति दी, जिनसे सम्पूर्ण वातावरण आध्यात्मिक आनंद और पवित्र भावनाओं से भर उठा। उनके भजनों की मधुर लहरियों ने श्रद्धालुओं के हृदयों में भक्ति, शांति और समर्पण की भावनाएँ जागृत कर दीं।

इसके उपरांत उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी म.सा. ने मंगल पाठ प्रदान कर सभी को आशीर्वाद स्वरूप शुभकामनाएँ दीं। उनके प्रेरक वचनों ने उपस्थित जनों को धर्ममार्ग पर अडिग रहने तथा जीवन में करुणा, संयम और सादगी को अपनाने की प्रेरणा दी।

पूरे कार्यक्रम का सुसंगत और प्रभावी संचालन श्री राजेश मेहता द्वारा किया गया। उनके संतुलित संचालन ने आयोजन की गरिमा को और भी बढ़ा दिया।

धर्मसभा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहे और मुनि श्री के मंगल वचनों से आत्मिक प्रेरणा प्राप्त की। वातावरण में भक्ति, शांति और आध्यात्मिक उल्लास का अद्भुत संगम देखने को मिला।

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