हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान है। वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं, वह इस प्रकार हैंl
आज संसार में कोई दुखी है तो उसका मूल कारण माया है माया युक्त जीवन जीने वाला अस्त्र रौद्र ध्यान करता हैl जीवन में दुखी होता है तथा मुक्ति मार्ग से दूर चला जाता हैl अतः आत्मसारथी सार्थक को सरलता से जीवन जीना है आत्मरती सड़क गलती होने पर प्रायश्चित करते हुए आलोचना प्रतिक्रमण करता है और मोक्ष मार्ग में आगे बढ़ता हैl धर्म का मूल विनायक आप मारती श्रावक को विनायक धर्म को स्वीकारना चाहिएl विनायक तब भी यह अहंकार ज्ञान तथा विभाग की उत्पत्ति है l
अतः श्रावक को पुण्य के उदय पर अहंकार को छोड़कर सभी आत्माएं समान मानकर आत्मार्थ के मार्ग पर बढ़ना चाहिएl जड़ और जीव का भेद कर जड़ देने का उपयोग जीव के कल्याण के लिए कर्म क्षय करने के लिए करना चाहिएl यह बहुत रहने से संसार का मूल कारण राग द्वेष समाप्त होगा प्रत्येक श्रावक जीवपर श्रद्धा कर जीव को समय देना चाहिए एवं रोज मेहमानों का आवागमन चालू है वह प्रश्न मंच इत्यादि नए-नए प्रोग्राम करते हैl
जय जिनेंद्र जय महावीर💓💓💓💓