युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के प्रबुद्ध सुशिष्य मुनिश्री डाॅ ज्ञानेन्द्र कुमार जी एवं मुनिश्री रमेश कुमार जी आदि ठाणा-4 के पावन सान्निध्य में आज तेरापंथ धर्मस्थल में तपोत्सव का आयोजन हुआ। जिसमें एक साथ छह तपस्वियों का तेरापंथी सभा द्वारा तपोभिनन्दन किया गया।
राजेन्द्र जी कोठारी (खुश्कीबाग बिहार) 31 दिन की , श्रीमती मंजुला सेठिया ( गंगाशहर राजस्थान) धर्मचक्र तप , दस वर्षीय सुश्री पूर्वी भादानी 9 दिन की , मास्टर श्रेयांस भादानी 8 दिन की ( भाई – बहन ) , नो वर्षीय सुश्री हरविका महनोत 8 दिन की तपस्या, सुश्री दीक्षा छल्लाणी 8 दिन की तपस्या पर तपोत्सव का आयोजन हुआ।
मुनि डाॅ ज्ञानेन्द्र कुमार जी ने कहा – गुवाहाटी में छोटे छोटे बालक बालिकाओं की तपस्या की लहर पूरे देश में फैल रही है। बच्चों देखकर बच्चों के मन में तपस्या करने की प्रतिस्प्रदा सी चल रही है। बच्चों को देखकर बडे भी तपस्या करें। बालको की तपस्या पर “मंडी गोविंदगढ की गायिका श्रीमती उमा सिंगला ने गीत बनाकर भेजा जिसे मुनि ज्ञानेन्द्र कुमार जी ने संगान किया।
मुनि रमेश कुमार जी ने कहा – तपस्या जीवन का सच्चा श्रृंगार है। इस श्रृंगार से जो अपने तन मन और भावों को श्रृंगारित करता है उसका जीवन सफल हो जाता है। आज गुवाहाटी में सहज तपोत्सव मनाया जा रहा इस तप रुपी गंगा में सभी गोते लगाये।
मुनि पद्म कुमार जी ने कुशलता पूर्वक संचालन किया। तेरापंथ युवक परिषद, ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाऐं, महनोत परिवार, भादानी परिवार, छल्लाणी परिवार एवं कोठारी परिवार की ओर से सुमधुर तप गीत एवं वक्तव्य से अभिनंदन किया गया।
तेरापंथ महासभा के उपाध्यक्ष बसंत जी सुराणा, जै वि भा के आगम प्रभारी एवं साहित्य प्रचारक दिलीप जी दूगड ने भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी पर प्रकाशित पांच पुस्तकों की सेट को भेंट किया।
कल रात्रि में प्रो. राधेश्याम तिवाड़ी, अध्यक्ष, बीएबीबी कॉमर्स कॉलेज ने मुनि डॉ. ज्ञानेन्द्र कुमार, मुनि रमेश कुमार आदि ठाणा-4 के दर्शन किए। भारत की बाल-युवा पीढ़ी को संस्कारी कैसे बनाया जाए, हमारे मूल संस्कार कैसे सुरक्षित रख सकते हैं, इस विषय पर आपस में परिचर्चा हुई।
*संप्रसारक*
*श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा गुवाहाटी असम*








