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तपस्या शरीर बल से नही आत्म बल से होती है ” – मुनिश्री मोहजीतकुमार

तपस्या शरीर बल से नही आत्म बल से होती है ” – मुनिश्री मोहजीतकुमार

तपस्या कर्मों के निर्जरा की उत्तम औषधि : मुनि मोहजीत

जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा द्वारा न्यू तेरापंथ भवन बालोतरा में मुनि श्री मोहजीतकुमारजी के सानिध्य में *श्रीमती रेखादेवी रमेशकुमारजी भंसाली और श्रीमती जयश्रीजी कनकजी बरड़िया द्वारा पखवाड़ा तप 15 की तपस्या* करने के उपलक्ष में अभिनंदन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री मोहजीत कुमार जी ने फरमाया कि तपस्या केवल शरीर बल से नही अपितु जिसका मनोबल व संकल्प मजबूत होता है वही व्यक्ति तपस्या के क्षेत्र में आगे बढ़ सकता है। तपस्या वह औषधि है, जो जीवन में सहजता, सौम्यता, सरलता व स्वस्थता का अवतरण करती है। तप के तेज से तपस्वी का चेहरा चमकने लगता है।

उपस्थित श्रावकों से हुए मुनिश्री जी ने कहा तपस्या से प्रेरणा लेते हुए आप सभी तप करने का संकल्प स्वीकार कर तपस्या की अनुमोदना करें। अनेक लोगों ने संकल्प भी स्वीकार किये। मुनि श्री ने गीतिका के द्वारा भी तपस्वियों की अनुमोदना की। तेयुप मीडिया प्रभारी नवीन सालेचा ने बताया कि इस अवसर पर सभा अध्यक्ष धनराजजी ओस्तवाल , मंत्री महेंद्रजी वैद, तेरापंथ महिला मण्डल अध्यक्ष निर्मलाजी संखलेचा , तेयुप अध्यक्ष संदीप ओस्तवाल और जेटीएन प्रतिनिधि निलेश सालेचा आदि गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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