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डाकू को संत बन देती है- श्वेत क्रांति = डाॅ. वरुण मुनि

डाकू को संत बन देती है- श्वेत क्रांति = डाॅ. वरुण मुनि

विनाश से विकास की ओर ले जाती है- अहिंसक क्रांति

श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बेंगलुरू में चातुर्मासार्थ विराजित उपप्रवर्तक श्री पंकजमुनिजी म. सा. ने मंगलाचरण के साथ प्रवचन सभा का शुभारंभ किया । मधुर गायक श्री रुपेश मुनि जी म. सा. ने अत्यंत मधुर भजन के साथ सभी श्रोताओं को मंत्र- मुग्ध कर दिया । तत्पश्चात दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार प. पू. डॉ. श्री वरुणमुनिजी म. सा. ने अपने मंगलमय प्रवचन में फरमाया कि क्रांति का अर्थ है मोड़ देना, बदल देना या आमूलचूल परिवर्तन कर देना । क्रांति दो प्रकार की होती है । एक क्रांति खूनी क्रांति या हिंसात्मक क्रांति, जिसमें रेल, बस या सार्वजनिक संपत्ति की तोड़फोड़ करना, किसी कमजोर या निहत्ते पर वार करना, किसी को अनावश्यक क्षति पहुंचाना, दु:ख पहुंचाना या मार- काट करना आदि होता है । दूसरी क्रांति है- श्वेत क्रांति या अहिंसात्मक क्रांति, जिसमें शांति, प्रेम, दया, करुणा आदि के द्वारा जीवन को मोड़ दिया जाता है । पूज्य मरुधर केसरी फरमाते थे कि किसी को दु:ख दोगे तो दुख मिलेगा, किसी को सुख दोगे तो सुख मिलेगा । यदि हम एक आम की गुठली को बोते हैं तो उससे हज़ारों आम की पैदावार हो जाती है । इसी प्रकार यदि किसी को दु:ख दिया, तो उसका फल हजारों गुना होकर हमारे पास पुनः लौटता है और यदि कोई अच्छा कार्य किया, तो वह भी सैकड़ों-हजारों गुना बढ़कर पुण्य के रूप में हमें प्राप्त होता है । महात्मा बुद्ध ने अंगुलिमाल जैसे क्रूर व्यक्ति को भी संत बना दिया, यह है अहिंसक क्रांति का कमाल। यदि एक नेक इंसान किसी पद को ग्रहण कर कुर्सी पर बैठता है, तो उससे कुर्सी स्वयं शोभित होती है । हम भी जीवन में ऐसे कार्य करें, जिससे स्वयं के जीवन में तो बदलाव हो ही, दूसरों के जीवन में भी बदलाव हो सके और वह कार्य हमारे लिए पुण्य का कारण बन सकें । यदि हम झाड़ू भी विवेक के साथ प्रयोग करते हैं, तो वह भी जीवों की यतना के साथ पुण्य का कारण बन सकता है । इसी प्रकार हमारा कोई भी सत्कार्य हमारा वर्क मेडिटेशन बन सकता है, हमारा भोजन ईटिंग मेडिटेशन बन सकता है, चलना वॉकिंग मेडिटेशन बन सकता है । इस प्रकार हम अपने प्रत्येक कार्य को या कर्म को पूजा बना सकते हैं । आवश्यकता है जीवन को सही मोड़ या दिशा देने की । जब जीवन सन्मार्ग की ओर आगे बढ़ता है तो वह शीघ्र ही विकास की पगडंडियों पर बढने लगता है ।

हमें विनाश से बचने के लिए जीवन को विकास की ओर उन्मुख करना होगा, तभी जीवन में श्वेत क्रांति घटित हो पायेगी।

आज की प्रवचन सभा में बैंगलोर के उपनगरों एवं गांधीनगर के आसपास के क्षेत्रों के अनेक श्रद्धालु भक्तजन उपस्थित थे । सभा का संचालन श्री राजेश भाई मेहता ने किया ।

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