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जो धर्म व पुण्य कर्म करता है वो ही श्रावक है, साध्वी उदितप्रभा

वेलूर. यहां बेरी बकाली गली स्थित श्री एस एस जैन स्थानक भवन में विराजित साध्वी सुप्रभा के सनिधय में साध्वी उदितप्रभा ने अपने चातुर्मासिक प्रवचन में कहा कि भगवान महावीर के धर्म संघ के चार स्तंभ साधु,साध्वी, श्रावक एवं श्राविका हैं। जिसमें साधु व साध्वी अनगार एवं श्रावक व श्राविका आभार कहलाते हैं।

जो श्रमणों की उपासना करता है, उनके पास जाकर धर्म विचरण करता है उनके ज्ञान दर्शन व चरित्र में सहयोगी बनता है उसे ही श्रमणोंवासक कहते हैं। जो धर्म श्रवण करता है वो श्रावक, जो श्रद्धावान होता है वो श्रावक और जो धर्म व पुण्य कर्म करता है वो श्रावक होता है।

श्रावक के दस लक्षण होते हैं जैसे जीवन जीने का विवेक रखता हो, श्रद्धावान होना, जो क्रियावान होता है वो क्रियाओं की आराधना में सजगता पूर्वक रहता है, वहीं सबसे धर्मवान श्रावक कहलाता है।

इसके अलावा धर्म सभा में साध्वी इमितप्रभा ने कहा कि आत्मा में अनंत शक्ति होती है लेकिन बाह्रा शक्ति ही दिखाई देती है। जैसे सुनने,चलने व विचार की शक्ति सहित कई प्रकार के शक्तियां है। लेकिन तीन शक्तियां समझ,सहज एवं संयम प्रमुख होती है।

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