टैगोर नगर के लालगंगा पटवा भवन में चातुर्मासिक प्रवचन
रायपुर। जैन दर्शन में चमत्कार जैसी चीज के लिए कोई जगह नहीं है। जो कुछ है, कर्म है। अगर आपके कर्म अच्छे हैं तो आपका जीवन भी अच्छा होगा। अगर आपके कर्म बुरे हैं तो जीवन भी बुरा होगा। जैन दर्शन कहता है कि हमें कर्मों का क्षय करना है, क्योंकि मोक्ष इसके बाद ही मिलेगा। टैगोर नगर के श्री लाल गंगा पटवा भवन में चल रहे चातुर्मास में मंगलवार को उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने यह बातें कही।
उन्होंने कहा कि आप जहां होते हैं, उससे आपको एनर्जी नहीं मिलती। आप जिससे कनेक्ट रहते हैं, उससे आपको एनर्जी मिलती है। आपको क्या लगता है, बल्ब से प्रकाश आ रहा है। माइक से आवाज आ रही है। नहीं। यह सब पावर हाउस से आने वाले करंट की वजह से हो रहा है। अगर स्विच ऑफ हो जाए तो क्या प्रकाश आएगा। क्या माइक से आवाज आएगी। नहीं। आवाज तभी तक पहुंचती है जब तक कनेक्शन बना हुआ है। इसी तरह मानव का जीवन है। आपकी आवाज तभी सुनी जाएगी जब परमात्मा से आपका कनेक्शन बना हुआ है। उन्होंने कहा कि चमत्कार केवल पाखंड है। इसके चक्कर में केवल भोंदू लोग आते हैं। चमत्कार जैसी कोई चीज नहीं होती। पुरुषार्थ करिए। इसी के बल पर ये संसार और समाज चल रहा है।
साइंस परमानेंट है, यह समय के साथ नहीं बदलता
कुछ लोग कहते हैं कि पुराने समय में चमत्कार होते थे। आज पांचवा आरा चल रहा है। कलयुग है। आज चमत्कार नहीं हो सकते। ये बात गलत है। साइंस समय के हिसाब से नहीं बदलता। पुराने समय में भी पानी का सूत्र एच2ओ था। आज भी वही है। पुराने समय में भी विद्युत उसी तरह काम करता जैसे आज करता है। आज भौतिकी जिस क्वांटम साइंस तक पहुंची है, जैन धर्म ने सालों पहले ही उसकी व्याख्या कर दी थी। मतलब चमत्कार जैसा कुछ भी नहीं होता। सबकुछ साइंस है। हमारे पूर्वज हमसे कहीं अधिक विद्वान थे जिन्होंने हमारे समक्ष ऐसे नमूने प्रस्तुत किए जिन्हें हम सुनकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं। इन्हें हम चमत्कार का नाम देते हैं, जबकि वास्तव में यह विज्ञान है।
प्रवचन सुनने उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़
रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा और चातुर्मास समिति के अध्यक्ष कीर्ति जैन ने बताया कि टैगोर नगर में रोज सुबह 9 से 10 बजे के बीच उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि के प्रवचन जारी हैं। इसे सुनने के लिए हर दिन सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालुजन पटवा भवन पहुंच रहे हैं। इसके अलावा गुरुदेव द्वारा प्रतिदिन विभिन्न धार्मिक क्रियाएं और अनुष्ठान भी करवाए जा रहे हैं जिसमें बड़ी संख्या में श्रावक, श्राविकाएं शामिल हो रहे हैं।
















