Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

जीवन को दिशा देने में संगत का महत्वपूर्ण स्थान: साध्वी नूतन प्रभाश्री जी

जीवन को दिशा देने में संगत का महत्वपूर्ण स्थान: साध्वी नूतन प्रभाश्री जी

सत्संग से जीवन अच्छा और कुसंग से जीवन बुरा बनता है

Sagevaani.com /शिवपुरी ब्यूरो। वर्षा की एक बूंद यदि सांप के मुंह में गिरती हैै तो वह जहर बन जाती है वहीं एक बूंद यदि सीप के मुंह में पड़ती है तो मोती बन जाती है। बूंद एक ही है लेकिन संगत से उसका असर अलग हो जाता है। इससे स्पष्ट है कि जीवन को दिशा देने में सत्संग का महत्वपूर्ण स्थान है। उक्त उदगार प्रसिद्ध जैन साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने सांखला निवास पर आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए। धर्मसभा में प्रारंभ में सांखला परिवार की बहिनों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। वहीं प्रवचन के पूर्व भक्तांवर पाठ का गायन किया गया। धर्मसभा में सांखला परिवार ने गुरूणी मैया का आशीर्वाद लेने आए पूर्व सीएमओ रामनिवास शर्मा का स्वागत तेजमल सांखला और यशवंत सांड ने किया।

साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने प्रसिद्ध संत गोस्वामी तुलसीदास जी के दोहे संत समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ दोए, सूत द्वारा और लक्ष्मी तो पापी के लिए होए से अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा कि संतों का सानिध्य और परमात्मा की वाणी सुनना दुर्लभ है। सुलभ क्या है? इसे स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि तुलसीदास जी कह गए थे कि संतान पत्नि और लक्ष्मी से संसार भरा है। संत सानिध्य और हरि वाणी सुनने से बचने के लिए व्यक्ति तमाम रास्ते ढूढ लेता है। लेकिन असीम पुण्य का उदय तब होता है जब व्यक्ति सत्संग के लिए ललायित होता है। धर्मसभा में साध्वी रमणीक कुंवर जी ने सांखला परिवार की धर्मभावना की सराहना की।

मानवता का होना और प्रभू वाणी सुनना दुर्लभ

साध्वी नूतन प्रभा श्री जी ने भगवान महावीर की अंतिम देशना का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने बताया था कि व्यक्ति में मानवता का होना और प्रभू वाणी सुनना दुर्लभ है। ठीक यही बात गोस्वामी तुलसी दास जी ने भी दोहराई है। यह दुलर्भता इसलिए है क्योंकि हतभागी लोग बहुत होते हैं लेकिन पुण्यशाली बहुत कम। पुण्य शाली जीवों में ही मानवता और प्रभू की वाणी सुनने की इच्छा होती है।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar