*☀️प्रवचन वैभव☀️*
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141)
जिससे
परिणति में
सुधार हो वही
सच्चा तात्विक तप है.!
142)
साधना के प्रति
सद् भाव,सम्मान,
बहुमान जितना
अधिक होगा उतना
अविलंब कार्यसंपन्न होगा.!
143)
दोष क्या है.
दोष किसे कहते है.?
दोष कितने कौनसे हैं..?
ये ज्ञान प्राप्त करके
मेरे में कौनसे दोष है
इसका निरीक्षण करके
उन दोषों को दूर करने का
पुरुषार्थ करना चाहिए…
144)
मजबूरी में
या लोक द्रष्टि से
की हुई धर्मक्रिया
गुण विकासक नही बनती.!
145)
साधना का
संकल्प ही सिद्धि हैं.!
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*प्रवचन प्रवाहक:*
*सूरि जयन्तसेन चरण रज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर