श्री गुजराती जैन संघ गांधीनगर में चातुर्मास विराजित दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार डॉ श्री वरुण मुनि जी म.सा. ने बुधवार को धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि साधक को वीतराग वाणी,जिनवचन पर सच्ची श्रद्धा रखनी चाहिए।
प्रभू महावीर ने श्रध्दा को परम दुर्लभ बताया है।उन्होंने कहा कि केवल सुनना ही पर्याप्त नहीं हैl धर्म कथा, सत्संग का असली लाभ जब मिलता है कि श्रोता गुरु की हित शिक्षा को सुनकर अपने जीवन में, आचरण में ग्रहण करता है।
आपने कितने प्रवचन सुन लिए फिर भी आत्मा का कल्याण क्यों नहीं हुआ इस पर चिंतन मनन करें तो एक ही बात परिलक्षित होती है कि आपने गुरु भगवंत महापुरुषों की वाणी तों बहुत बार सुनी है पर जिनवाणी को श्रवण करके भी उस पर अमल नहीं किया। उसे अपने जीवन में आत्मसात नहीं किया।
जिसके कारण आपकी आत्मा का कल्याण संभव नहीं हो सका और मुक्ति अभी भी आपसे दूर है। आवश्यकता है बस गुरु के हित वचनों को सुन कर व्यक्ति उसे यथार्थ रूप में सुनकर,समझ कर अपने आत्मा को पवित्र, निर्मल शान्त बनाये। गुरु का एक वचन भी आपके जीवन को सही दिशा बोध प्रदान करते हुए आपकी आत्मा का कल्याण कर सकता है।
उन्होंने कहा कि स्वाध्याय की साधना करने से ज्ञानावरणीय कर्म का क्षय होता है और हम हमारा अज्ञान अंधकार दूर हो कर सम्यक ज्ञान की प्राप्ति होती है और हमारे आत्म विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। साथ में सबसे बड़ा लाभ हमारे कर्मों की भी निर्जरा होती है। प्रारंभ में युवा मनीषी मधुर वक्ता श्री रुपेश मुनि जी ने अपने विचार व्यक्त किए।
उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी महाराज ने सबको मंगल पाठ प्रदान किया। इस अवसर पर धर्म सभा में संजय कुमार कचोलिया ने भी गुरु भक्ति भाव प्रदर्शित किए। अनेक व्रत नियम श्रद्धालुओं ने मुनि श्री से ग्रहण किए। कार्यक्रम का संचालन राजेश मेहता ने किया। इस अवसर पर समाज के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।