जब तक जीवन है तब तक मुश्किले आती रहेगी वेलूर के बेरी बक्काली स्ट्रीट के शाति भवन मे ́विराजित श्री ज्ञान मुनिजी ने कहा कि ससार मे ́कुछ प्राणी मूमुक्ष होते है यानि जिसके मन मे ́मोह नही होता है, मोह छोड ̧ने का प्रयास करते है। जो प्राणी संसार का कल्याण् के बारे मे ́सोचते है, कैसे भव सागर पार करने की सोचते है ́या संसार से कैसे तीरे वो प्राणी मुमूक्ष होते है।
उन प्राणियो ́ को स्वर्ग सु१ की चाह नही ́है। स्वर्ग मे भी लोभ-लालच, तेरा मेरा कई विस ́गतिया ́है। मानव के रूप मे ́ जन्म लिया है तो जीवन है। जब तक जीवन है मुश्किले तो आती ही रहेंगी। जिंदगी है तो समस्या भी है।
दही मे ́ मा१न है लेकिन उसको निकालने के लिए भी बिलौड ̧ना होगा तभी मा१न निकलेगा। उसी तरह महापुरूषो ́ व संतो ने मोक्ष का रास्ता दिखाए है लेकिन आप दि१ाए ́हुए रास्ते पर न चलकर दुसरे पथ पर चलोगे तो मुसीबतो ́ को सामना करना पडेगा।
मनुष्यो ́में ञ्जरूाान हो, साथ मे ́ क्रिया हो तो मोक्ष मिल सकता है। संसार की कामना नहीं, लालच नही ́एवं ́ भौतिक इच्छाए ́मिल जाए तो आपको मोक्ष प्राप्त हो सकता है। मानव का दिन किसमे ́जा रहा है काम- काज, व्यापार व नींद मे ́व्यर्थ हो रहा है।
मानव आशा तृष्णा मे न रहे, लालच छोडे, इच्छा कम करे ́तभी आप मोक्ष के राह में चल सकते है। पुराने लोग संतोषी व संतापी थे। जीवन में अनुकूल भी होता है प्रतिकूल भी होता है। सभी मुश्किलों से पार कर मोक्ष की ओर कदम बढाए। इच्छाओ ́ का नियंऋण करना तपस्या करने के बराबर है। कल्याण् चाहते हो तो थोडे ̧मे ́ही जीवन व्यतित करे, इच्छा कम करे तभी धर्म गुरू के नजदीक जा सकते है।