श्री हीराबाग जैन स्थानक सेपिंग्स रोड बेंगलुरू में विराजित साध्वी धैर्याश्री जी म सा ने पाप पुण्य के बारे में बताते हुए कहा कि जल ओषधि है। रोगों को नाश करने वाला है। इसका दुरूपयोग मत करो, इसे अमृत की तरह, गंगा जल की तरह उपयोग करें। यदि जल नहीं है तो न वृक्ष, वनस्पति उत्पन होंगे न अन्न मिलेगा। सागर संग्रह करता है तो पानी खारा रहता है पर जल बहता है तो पवित्र शुद्ध होता है।
प्रातः काल जब हम ऊषापान करते है तो कब्ज जैसी घातक बीमारीयों के लिए राम बाण दवा है। गीता में कहा गया है सभी रसों में जल ही श्रेष्ठ है। साध्वी धैर्याश्री जी म सा ने आरुग्ग बोहिलाभमं के बारे मे बताया वैद्यत्विक स्वास्थ्य आज व्यक्ति कैरियर की चिंता करता है, करैक्टर की नहीं।
करैक्टर को दांव पर लगा कर कैरियर बनाना चाहता है। सुधारना है खानदान तो खानपान सुधारो। मानसिक स्वास्थ्य इसका संबंध सद विचारों के साथ है। अन्न सात्विक है तो विचार भी सात्विक होंगे। विचार सात्विक होंगे तो ही मानसिक स्वास्थ्य को टिकाए रख सकता है। इस प्रकार स्वास्थ्य का ध्यान रखेगा वो ही आरोग्य के सुखों को प्राप्त करेगा।
साध्वी जी ने गीतिका पेश की। जीतो महिला विंग की इन्दुजी रायसोनी के साथ में महिला मंडल ने दर्शन वंदन कर सेवा का लाभ लिया। साध्वी आगमश्रीजी म सा ने जीने की कला के बारे में उद्बोधन दिया। संचालन मंत्री अशोक बांठिया ने किया।