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चार्तुमास की सफलता के बाद आई साध्वी रमणीक कुंवर जी की भावुक विदाई वेला

चार्तुमास की सफलता के बाद आई साध्वी रमणीक कुंवर जी की भावुक विदाई वेला

तीन दिन तक चलेगा सम्मान समारोह, 27 को होगी उपकार सभा

Sagevaani.com /शिवपुरी ब्यूरो। पांच माह तक चार्तुमास अवधि में शिवपुरी में जन-जन को जिन धर्म का संदेश देने वाली प्रसिद्ध जैन साध्वी रमणीक कुंवर जी म.सा. ठाणा 5 की विदाई बेला नजदीक आ गई है। साध्वी जी 28 नवम्बर को दोपहर 1 बजे पोषद भवन से बिहार कर अगले पड़ाव के लिए रवाना होगी। विदाई बेला से पूर्व तीन दिन तक कमला भवन में सम्मान समारोह और उपकार सभा का आयोजन होगा।

25 नवम्बर शनिवार को चार्तुमास के दौरान 3 अथवा उससे अधिक उपवास की तपस्या करने वाले साधकों का सम्मान किया जाएगा। 26 नवम्बर रविवार को साध्वी रमणीक कुंवर जी, साध्वी नूतन प्रभाश्री जी, साध्वी पूनम श्री जी, साध्वी जयश्री जी और साध्वी वंदना श्री जी के प्रवचन को जन-जन तक पहुंचाने वाले मीडियाकर्मियों का सम्मान किया जाएगा तथा 27 नवम्बर को कमला भवन में सुबह 9 बजे से उपकार सभा का आयोजन होगा। तीनों दिन के समारोह के लाभार्थी परिवार मेहरचंद जी, विपिन चंद जी, राहुल, रीतेश और यश गुगलिया परिवार होंगे।

निमाड सौरभ की उपाधि से अलंकृत साध्वी रमणीक कुंवर जी महाराज साहब का शिवपुरी में यह द्वितीय चार्र्तुमास था। इसके पहले उन्होंने 2009 में शिवपुरी में चार्र्तुमास किया था। उस अद्वितीय चार्तुमास की यादें आज भी धर्माम्बलम्बियों के जेहन में है। उस दौरान शिवपुरी में पहली बार 30 उपवास की तपस्या श्राविका बहिन ने की थी। साध्वी रमणीक कुंवर जी का व्यक्तित्व बहुत उदार है और वह धर्म में सम्प्रदाय बाद से पूरी तरह से दूर है। यही कारण है कि उनके अनुयायियों में जैन और अजैन दोनों शामिल है।

उनके प्रवचनों में बड़ी संख्या में अजैन धर्मावलम्बि उपस्थित रहते है। साध्वी जी ने समाज को हमेशा जोडऩे का काम किया है। यही कारण है कि स्थानकवासी और मूर्र्ति पूजक समाज में वह समान रूप से लोकप्रिय है। 2009 के चार्तुमास की सफलता के बाद शिवपुरी के जैन समाज ने उनसे 2023 के चार्तुमास की विनती की जिसे सहृदयता से साध्वी रमणीक कुंवर जी ने स्वीकार किया और लगभग एक हजार कि.मी. पद बिहार करने के बाद वह पांच मास की चार्र्तुमास अवधि व्यतीत करने के लिए शिवपुरी आई। शिवपुरी में कमला भवन और आराधना भवन में उन्होंने प्रवचन दिए तथा भगवान महावीर की वाणी उत्तराध्यन सूत्र, कल्प सूत्र और अंतगड़ सूत्र का वाचन किया।

प्रवचनों से जहां साध्वी रमणीक कुंवर जी और साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने धूम मचाई वहीं शिवपुरी में सिद्धी तप और परदेशी राजा का कठिन तप न केवल खुद किया बल्कि अपने अनुयायियों से कराकर एक नए इतिहास का सृजन किया। साध्वी जयश्री जी और साध्वी वंदना श्री जी के सुमधुर भजनों ने प्रवचन में अनूठा और अद्वितीय माहौल उत्पन्न किया। साध्वी रमणीक कुंवर जी के सानिध्य में सामुहिक रूप से आयमबिल, और इकासना की तपस्याऐं भी बड़ी संख्या में हुई। उनकी प्रेरणा से शिक्षक दिवस और स्वतंत्रता दिवस समारोह भी धूमधाम, उत्साह और राष्ट्रीय प्रेरणा से मनाए गए। पर्यूषण पर्व सानंद पूर्वक संपन्न हुए। साध्वी रमणीक कुंवर जी ने शिवपुरी में चार्तुमास कर यहां की धर्मप्रेमी जनता का बहुत उपकार किया। इसी के उपलक्ष्य में 27 नवम्बर को कमला भवन में उपकार सभा का भव्य आयोजन किया जा रहा है।

जीवन में परिवर्तन आए तो हमारा चार्तुमास करना होगा सार्थक

धर्मसभा में साध्वी रमणीक कुंवर जी महाराज साहब ने कहा कि यदि आपके जीवन में जरासा भी परिवर्तन आया तो हमारा चार्र्तुमास करना सार्थक होगा। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कहा कि आपकी बहुत सी जिंदगी यूं ही चली गई अब थोड़ी सी जिंदगी बांकी है। इस जिदंगी को यदि सार्थक कर लिया तो हमारा मानव जीवन सफल होगा। साध्वी वंदना श्री जी ने कहा कि मानव जीवन अमूल्य होता है। इसे व्यर्थ गवां दिया तो हमारा जन्म लेना अर्थहीन हो जाएगा। क्योंकि 84 लाख जीव योनि में गुजरने के बाद यह जीवन मिला है और इसका हमें सदुपयोग करना चाहिए।

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