*“गुरुर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः*
*गुरूर्देवो महेश्वरः*
*गुरुः साक्षात् परब्रह्म*
*तस्मै श्री गुरवे नमः।”*.
आज शिक्षक दिवस के शुभ अवसरपर आकुर्डी निगडी प्राधिकरण श्री संघ के प्रांगण मे साध्वी स्नेहाश्री जी म. सा. गुरु का महत्व विशद कर हमे संस्कार क्षम बनाने, जीवन के मुल्य समझाने मे एवं कार्यक्षम बनाने महत्वपुर्ण भुमिका निभाते है! स्नेहाश्री जी ने अपने गुरुमॉं पु. चंद्रकलाश्री जी म. सा. प्रति आदरभाव एवं क्रुतज्ञता वक्त कर उम्रके छ वर्ष से सँभाल जैन धर्मकी दसवें वर्ष में दिक्षा दिलवाकर आगम का ज्ञान देने वाली गुरुमॉं के प्रति जन्मों जन्म तक ऐसी गुरुणी मिले यह भावना भायी!
इस अवसर पर “ मॉं शारदा के पवित्र मंदीर में पधारे सभी भक्त गणो का स्वागत करते हुये संघाध्यक्ष सुभाषजी ललवाणी ने जन्मदाता माता- पिता, शिक्षा दाता गुरुजन, धर्मसंस्कार दाता गुरु- गुरुणीसा, अन्नदाता- भाग्यविधाता फिरोदिया उद्योग समुह, सामाजिक व्यासपिठ उपलब्ध कर देने वाला संपुर्ण समाज, पालन पोसन कर्ता परिवार इनको वंदन कर अपनी क्रुतज्ञता प्रकट की! प्रा शारदा चोरडीया ने शिक्षक व्रंद का महत्व विशद कर अपने आठ दिवसीय स्वाध्याय का अनुभव विशद किया! शिक्षक दिवस का औचित्य सामने रख आकुर्डी निगडी प्राधिकरण श्री संघ द्वारा पर्युषण पर्व में स्वाध्यायी कर गयी सात स्वाध्यायी बहनोको चातुर्मास स्वागताध्यक्ष एवं विश्वस्त मंडल द्वारा नवाजा गया!
स्वाध्यायी सौ शारदाजी चोरडीया, स्मिताजी राका, सुनंदा जी लोढा, विजयाबाई कर्नावट, मंजुजी संचेती निताजी ओस्तवाल, शुभांगी जी कात्रेला आदि स्वाध्यायी विविध क्षेत्र मे गयी थी! इस अवसर पर सन्मानीत करते हुये संघाध्यक्ष सुभाषजी ललवाणी, स्वागताध्यक्ष मोतीलालजी चोरडीया, नंदाजी लुंकड, नेनसुखजी मांडोत, सुर्यकांतजी मुथीयान, मदनलालजी कोचर, पोपटलालजी कर्नावट, श्रीकांतजी नहार आदि!