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कल को संवारने के लिए आज चिंतन बहुत जरूरी

कल को संवारने के लिए आज चिंतन बहुत जरूरी

तिनका तिनका इकट्ठा कर एक चिड़िया घोंसला बनाती है हर एक मनके को पिरोकर माला बनती है एक जौहरी सुंदर माला बनाते हैंl ऐसे ही जीवो को अभयदान देकर जेनी पर्व मानता हैl एक बार सुकरात दर्पण में चेहरा देख रहे थे किसी ने पूछा आप दर्पण क्यों देख रहे हो जवाब मिला मैं सुंदर नहीं हूं तो सुंदर बनने की कोशिश करो और सुंदर हो तो सुंदर टापू सुरक्षित रखोl यह बात सिर्फ चेहरे को देखने पर हमारा चरित्र सुंदर है या नहीं यह जानने के लिए हमें दर्पण चाहिएl हम अपने आप को पहचान सके हम क्या है इस सवाल का जवाब यह पर्व देता हैl

आज हम आईने के सामने बैठकर चेहरे को देखते हैं अगर चेहरा ठीक नहीं है तो बराबर कर लेते हैं पर पर्व कहता है हमें अपने आप को पहचानना हैl मैंने क्या किया है क्या नहीं किया कितनों को सताया है कितनो को रुलाया है कितनों का भला बुरा किया है यह देखने के लिए यह पर्व मजबूर कर देता हैl आओ किसी के भी प्रति वैर विरोध की बात को लेकर गांठ बनना नहीं है आज मैं खोल देना हैl टू चेक औरों को चेक नहीं करना अपने आप को चेक करना है टू चेंज अपने आप में परिवर्तन लाना है दूसरों को नहीं बदलना अपने स्वयं को बदलना हैl

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टू चैलेंज इस लॉकर को अपने जीवन में लाना है बदले की भावना नहीं होना बदलने की भावना लो हमें दूसरों के दोस्तों को देखना है या गुना को देखना है बाजार में जाकर हमने क्या खरीदा हैl दोषोका का टोपला या गुना की फूलदानी हम पर निर्भर है सिर्फ सुना नहीं है आज चिंतन करना हैl कल को संवारने के लिए आज यह चिंतन बहुत जरूरी हैl लौकिक पर वह लोकोत्तर पर हम तो साधना करके अपनी आत्मा को उन्नत बनाना हैl

अबाउट टर्न पीछे लौट आओ जैन दर्शन सूक्ष्म दर्शन चाहे तो वह आपको केवल ज्ञान भी दे सकता हैl चाहे तो वह आपको रसातल की ओर भी ले जा सकता है करना क्या है यह हमें चिंतन करना हैl क्रोध के दावानल के सामने क्षमा आत्म प्रेम का अनंत सागर लहराता है क्षमा धर्मवीरों का धर्म है कायरों का नहीं हैl संत तुकाराम के जीवन की घटना को सामने रखते हुए बताया कितने क्षमता के सागर के संत तुकाराम साध्वी धैर्योश्रीजीने तपसियों का अनुमोदन करते हुए एक गितिका का पेश की श्रीमान अशोक जी बाठियाजी ने संचालन कियाl

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