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 आध्यात्मिक पर्व है – पर्यूषण: डॉ वरुण मुनि जी

 आध्यात्मिक पर्व है – पर्यूषण: डॉ वरुण मुनि जी

श्री गुजराती जैन संघ गांधीनगर में चातुर्मास विराजित दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार डॉ श्री वरुण मुनि जी म .सा. ने बुधवार को पर्यूषण पर्व के प्रथम दिवस पर पर्युषण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पर्यूषण यह आध्यात्मिक पर्व है। इस पर्व को मनाने के लिए देवलोक से देवता भी मेरु पर्वत पर आकर अष्ट दिवस तक इस पर्व को धूमधाम से महोत्सव रूप मानते हैं।

संसार के भौतिक राग रंग को छोड़कर, आमोद प्रमोद, सांसारिक प्रवृत्तियों को छोड़कर आध्यात्मिक साधना, तप त्याग आराधना, सामायिक, प्रतिक्रमण संवर दया पौषध, उपवास, जप तप के साथ प्रतिदिन प्रार्थना, प्रवचन जिनवाणी श्रवण करना और अपनी आत्मा के निकट रहना ही पर्यूषण पर्व का महान संदेश जगत के जीवन के लिए और साधक आत्माओं के लिए कर्म निर्जरा की पावन प्रेरणा प्रदान करता है।

यह पर्व अंधकार से प्रकाश की ओर, हिंसा से अहिंसा की ओर, पशुता से मानवता की ओर एवं भोग से त्याग की ओर ले जाने का सुंदर अनुष्ठान भाव महायज्ञ है। मुनिश्री ने पर्यूषण पर्व मनाए जाने के आगमिक संदर्भों की सब विस्तार व्याख्या करते हुए कहा कि पर्यूषण पर्व के इन आठ दिनों में सभी साधकों को संयमित आचरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्रोध मान माया लोभ कषाय अंहकार के कारण और राग, द्वेष के कारण जीव

चौरासी लाख योनियों में जन्म मरण करता रहता है। अपने कर्म को क्षय किये बिना जीव को संसार से मुक्ति नहीं मिलती है। पर्यूषण पर्व कर्म खपाने का पर्व है। इस पर्व को सभी पर्वों का राजा कहा गया है। हमें भी इन अष्ट दिवसीय महोत्सव में ज्यादा से ज्यादा प्रभु की भक्ति, धर्म आराधना, स्वाध्याय,जाप, ध्यान, गुरु मुनि, चारित्र आत्माओं के पावन सानिध्य में जाकर प्रतिदिन भगवान महावीर की जिनवाणी का श्रध्दा भक्ति के साथ प्रवचन सुनने रोज सुबह समय निकालकर जरुर जाना चाहिए और अपनी आत्मा को शुद्ध पवित्र, निर्मल बनाने का प्रयास करना चाहिए।

आठों दिनों में प्रतिक्रमण साधना जरुर करना चाहिए एवं प्रति दिन छोटे बड़े कुछ ना कुछ नियम,, व्रत गुरु महाराज से जरुर ग्रहण करें। साथ में दान, सेवा परोपकार करना चाहिए यह हर साधक का प्रमुख कर्तव्य है। प्रारंभ में युवा मनीषी मधुर वक्ता श्री रुपेश मुनि जी ने अंतगड सूत्र का वाचन धर्म सभा में किया।

उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी महाराज ने सभी श्रद्धालुओं को पर्व पर्यूषण की मंगल शुभकामनाएं देते हुए सभी आराधकों को व्रत नियम के , तपस्या के प्रत्याख्यान कराते हुए सभी धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को मंगल पाठ प्रदान किया।दोपहर में कल्प सूत्र का वाचन किया गया। इस अवसर पर समाज के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन राजेश मेहता ने किया।

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