विल्लुपूरम श्री सुसवाणी भवन में आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी उज्जवलप्रभा के सान्निध्य में 219 वां भिक्षु चरमोत्सव मनाया गया। साध्वी उज्जवलप्रभा ने मंगल उद्बोधन में फरमाया कि आचार्य भिक्षु आलोक पुंज, तेजपुंज पुरुष थे। उन्होंने जीवनभर अध्यात्म का आलोक बांटा। आज भी आचार्य भिक्षु, तत्व दर्शन, ज्ञान रश्मियों से प्रकाशमान बने हुए हैं। वे ज्ञान रश्मियाँ श्रद्धाशील हृदय को निरंतर आलोकित कर रही हैं।
साध्वी अनूप्रेक्षाश्री ने कहा आचार्य भिक्षु के जीवन का हर पहलू अध्यात्म से सरोबार था। इसी अध्यात्म बल के सहारे, विरोधी परिस्थितियों में भी अटल रहे। साध्वी प्रबोधयशा ने कहा आचार्य भिक्षु ने अपने साधना के बल पर शिथिलाचारों को खुले मैदान में चुनौती दी एवं कष्टों को आभार मानकर, उन्हें स्वीकार किया। तेरापंथ सभा मंत्री राजेश सुराणा एवं कन्या मंडल से आशिका बुरड़ ने आचार्य भिक्षु को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। विल्लुपूरम एवं वलवनूर महिला मंडल की बहनों ने सुमधुर गीत की प्रस्तुति से सभा को मंत्र मुग्ध कर दिया।
साध्वीश्री के सान्निध्य में अनेकों श्रावक, श्राविकाओं ने एकासन, उपवास, बेले का प्रत्याख्यान किया। श्रीमती संतोष जी सुराणा ने 14 उपवास का प्रत्याख्यान किया। आज विल्लुपुरम में “ॐ भिक्षु, जय भिक्षु” संकट मोचक मंत्र का अखंड जप चल रहा है। संघगान के साथ भिक्षु भावांजलि समारोह सम्पन्न हुआ। मंगलाचरण कन्या मंडल ने एवं कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती स्नेहा भंडारी ने किया।
स्वरुप चन्द दाँती, प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई