आमेट के जैन स्थानक में चातुर्मास हेतु विराजित साध्वी डॉ चन्द्र प्रभा ने कहा की जीवन में अनुशासन बहुत जरूरी है अनुशासन का मूल्य वह करने का तरीका है जो करने की आवश्यकता है। अभ्यास न केवल व्यक्ति को सकारात्मक कार्य स्थापित करने की अनुमति देता है। यह हमारे दिमाग और शरीर को प्रशिक्षित करने में मदद करता है और हमें अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने और अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम बनाता है। हर एक मनुष्य के जीवन में अनुशासन होना सबसे ज्यादा महत्व होता है। खुशहाल जीवन जीने के लिए अनुशासन होना बहुत ही आवश्यक है। कोई भी अवस्था हो, हमें अनुशासित रहना चाहिए।
साध्वी आंनद प्रभा ने कहा अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है- अनु और शासन। अनु उपसर्ग है जो शासन से जुड़ा है और जिससे अनुशासन शब्द बना है। जिसका अर्थ है- किसी नियम के अधीन रहना या नियमों के शासन में रहना। हमारे जीवन के हर एक काम के लिए बेहतर अनुशासन की आवश्यकता होती है। पारिवारिक और सामाजिक जीवन में तो कहीं ज्यादा अनुशासन की आवश्यकता होती है। यह एक कटु सच्चाई है कि अनुशासन के बिना सफलता नहीं हासिल की जा सकती। जिस देश के लोग अनुशासित हैं, जहां की सेना अनुशासित है, वह देश निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर होता रहेगा, वह सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ता रहेगा।
मिडिया प्रभारी प्रकाश चंद्र बड़ोला एवं मुकेश सिरोया ने बताया कि इस अवसर पर सूरत से जैन कॉन्फ्रेंस पदाधिकारी विनीता जैन, बॉम्बे से भरत जैन, उदयपुर से दिनेश जैन, बैंगलोर से तपस्वी मीना मेहता के भाई राकेश दक, भीलवाड़ा से पारस मेहता, सुनील मेहता, महाराष्ट्र से प्रकाश मेहता आदि श्रावक उपस्थित थे।
इस धर्म सभा मे हेमलता तलेसरा ने 8 उपवास के पच्चाखाण लिए, चंदनबाला महिला मंडल आमेट ने आपका अभिनंदन और बहुमान किया । इस धर्म सभा का संचालन ललित डांगी ने किया ।