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अनंतानंत चौवीसी तक विद्यमान रहने वाले नमस्कार महामंत्र में चौहद पूर्व का सार निहित है

अनंतानंत चौवीसी तक विद्यमान रहने वाले नमस्कार महामंत्र में चौहद पूर्व का सार निहित है

श्री राजेन्द्रसूरीश्र्वरजी जैन ट्रस्ट के तत्वावधान में श्री राजेन्द्र जैन भवन में भव्य नमस्कार महामंत्र अनुष्ठान रविवार ता: 7-8-2022 को प.पू. साध्वीवर्या श्री मोक्षरसाश्रीजी, श्री मोक्षमालाश्रीजी आदि ठाणा 5 की पावनीय निश्रा में मनाया गया। अनंतानंत चौवीसी तक विद्यमान रहने वाले नमस्कार महामंत्र में चौहद पूर्व का सार निहित है। यह मंत्र एक प्रकार का प्रतिरोधक शक्ति है। इस मंत्र के श्रद्धापूर्वक पठन-पाठन से हमारे जीवन में अनेक लब्धियां प्राप्त हो जाती है। यह मंत्र अत्यन्त ही सामर्थ्ययुक्त है। आदि-मंगल के रुप में इस मंत्र का अनेक आगमों एवं ग्रंथों में उल्लेख मिलता है।

नमस्कार महामंत्र के अड़सठ अक्षरों में, एक-एक अक्षर का भव्य अनुष्ठान 68 लाभार्थी परिवारों के हाथों करवाया गया। 68 अक्षर जींसमें कहा गया है कि हरएक अक्षर में 1008 देव-देवियों का वास है, इस मंत्र के एक-एक अक्षर पर प.पू.साध्वीवर्या श्री मोक्षरसाश्रीजी द्वारा सारगर्भित व्याख्यान एवं विवेचन कीया गया। इस अनुष्ठान में 68 तीर्थों की वंदना संगीतमय प्रस्तुति श्री राजेन्द्रसुरि जैन परिषद द्वारा करवाई गई। इस अनुष्ठान में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पधारकर अनुष्ठान का लाभ लीया।

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