हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान हैl वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं, वह इस प्रकार हैंl
बंधुओं जैसे कि् अंतराय कर्म क्यों बंधुओं यदि आपकी कोई प्रिय वस्तु आपसे कोई छीन ले तो आपको कैसा लगता है, बुरा लगता है ना? जैसे हम कई धर्म कर रहा है उसे अंतराय देते हैं तो कैसा लगता है बुरा लगता है वह भी आत्मा मोक्ष प्राप्त करने के लिए रख जाता हैl श्री अनुतरोवाई दशा में 33 आत्मा ए ऐसी थी मात्र 5 मिनट कि देरी संयम लेने की 33 सागरोपम अगले भव कि आयु तक मोक्ष रुक गयाl
सोचो फिर हम उसे भव आत्माओं को कितने समय तक संसार में बांधकर रखते हैं, आप कहते हो मरु देवी माता बिना सयममोक्ष प्राप्त हो गया पर वह मरु देवी माता ने 65000 पीढ़ियां देखी एक भी पिढी को घर में में अंतराय नहीं दीl हमने कितनी पीढ़ियां देखी और हम कितने अंतराय देते हैंl अब परीक्षा अवश्य कीजिए वह संयम के लायक है या नहीं अती मुक्त कुमार के भी माता-पिता ने परीक्षा लीl ऐसा नहीं कहा कि तुम्हारे बिना हमारा क्या होगा, यह कहा कि तुम इतने छोटे होकर स्यम कैसे लोगे पुरोहित के दो बेटों को वैराग्य आयाl
आजा योगी माता-पिता ने परीक्षा ली माता-पिता को भी वैराग्य आया अब जब चारों दिशा ले रहे हैं, तो संपत्ति का क्या करें तो वह राजा को देने लगीl राजा लेने को तैयार हुआ तो रानी के साथ से राजा रानी को भीवेराग्य आ गयाl 6 जनों ने दीक्षा लेकर मोक्ष प्राप्त किया दो जनों का बैरागी चार जनों में और बैरागी भर दियाl ऐसा हमारा जिन शासन पर आप तो कर या 40 दीक्षा देखने के बाद भी यदि हम में भाव नहीं आया पर हमारे बच्चे में आ गया फिर हम उसके भावों को नीचा करने में उसे अंतराय देने का भाव रखते हैंl कर्मों का बंधन करते हैं इसलिए हो सके तो अंतराय किसी को भी नहीं देनी चाहिए अंतराय देने से कर्म का बंधन होता हैl
जय जिनेंद्र जय महावीर🙏🙏