प्रवचन कार्यक्रम

श्रद्धा के साथ की गई क्रिया आराधना बन जाती है: प्रवीणऋषि

चेन्नई. शनिवार को श्री एमकेएम जैन मेमोरियल, पुरुषावाक्कम में विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि एवं तीर्थेशऋषि महाराज का प्रवचन कार्यक्रम हुआ। उपाध्याय प्रवर ने जैनोलोजी प्रैक्टिकल लाईफ सत्र में युवाओं को कहा कि जीवन में सफलता के लिए तीन चीजें शरीर, दिमाग और आत्मा अत्यंत जरूरी है। इन तीनों के साथ यदि श्रद्धा का समावेश हो जाए तो सफलता को उत्कृष्टता शिखर पर पहुंचा सकते हैं। श्रद्धा के साथ की गई क्रिया आराधना बन जाती है। श्रद्धा आ जाए तो आपकी भावना ही भक्ति बन जाती है। आपसी रिश्तों की यदि समझ आ जाए और उनमें पारदर्शिता हो तो आपके रिश्तों को कोई भी क्षति नहीं पहुंचा सकता। उपाध्याय प्रवर ने बताया कि अंतराय कर्म तोडऩे का पहला सूत्र है कि जो आपको आज तक प्राप्त नहीं हुआ वह दूसरों को देना शुरू कर दें। इस भावना से नहीं कि वह पुन: लौटाएगा। यदि शुरुआत नकारात्मकता से कर देंगे तो सकारात्मकता आ नहीं पाएगी। ...

अहंकार छोड़ें, जिनशासन की आज्ञा पालन करें : उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि

मंगलवार को श्री एमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर, पुरुषावाक्कम, चेन्नई में चातुर्मासार्थ विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि महाराज एवं तीर्थेशऋषि महाराज के प्रवचन कार्यक्रम आयोजित हुआ। उपाध्याय प्रवर ने बताया कि सुरक्षा हर व्यक्ति चाहता है। परमात्मा कहते हैं कि जो स्वयं के जीवन को सुरक्षित करता है वही सुरक्षित है। परमात्मा की आज्ञा है- हृदय और विचारों से खुला होना चाहिए आचरण और चरित्र में नहीं। जिसका मन और काया, सुरक्षित है वही सुरक्षित है। आज्ञा के बाहर जाने वाले असुरक्षित हो जाते हैं और जो असुरक्षित है वही आज्ञा से बाहर है। आज्ञा देने वाला आज्ञा देने के बाद विश्राम नहीं करते वे स्वयं उसकी परख करते हैं। नेपोलियन का उदाहरण देकर इसे समझाया। गुरु कहते हैं कि यदि नेपोलियन की आज्ञा का उल्लंघन किया तो सैनिक ने अपना एक जीवन खो दिया, लेकिन परमात्मा की आज्ञा का उल्लंघन करने वाले तो कितने ही जन्म खो देते है...

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