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परम् की प्राप्ति में बाधक राग : आचार्य श्री महाश्रमण

*मूच्छा से मुक्त जीवन जीने की दी प्रेरणा *श्रीमती रंजनी दुगड़ “श्राविका गौरव अलंकरण” से सम्मानित माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में ठाणं सुत्र के दूसरे अध्याय का विवेचन करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि मूर्च्छा के दो प्रकार की होती हैं – प्रेयश प्रत्यया और द्वेष प्रत्यया| मूर्च्छा एक मोह का आवरण है जो चेतना को आवर्त कर देती है| जैसे आकाश में चमकते हुए सूर्य को बादल आच्छादित कर देते हैं, ठीक वैसे ही चेतना की निर्मलता को मोह रुपी बादल आच्छादित कर देते हैं| जैसे बादलों से आकाश आच्छादित होने पर उसकी तेजस्विता मंद हो जाती है, ठीक उसी प्रकार चेतना की तेजस्विता मंद हो जाती है| मूर्च्छा का आवरण चेतना को मूढ़ बना देता है| मूर्च्छा को ही मोह कहा जा सकता है| मोह, मूर्च्छा, कशमल ये पर्यायवाची शब्द है| आचार्य श्री ने आगे कहा कि प्रेयस यानी राग और द्वेष के कार...

गुरुदेव रूपमुनि के आदर्श जीवन में उतारें : विनयमुनि और गौतममुनि

चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक विनयमुनि और गौतममुनि के सानिध्य में गुरुदेव रूपचंद की श्रद्धांजलि सभा हुई। इस मौके पर गौतममुनि ने कहा गुरुदेव ने जीवनभर परोपकार के कार्य कि। उनकी प्रेरणा से ही अनेक गौशालाएं, अस्पताल और जीव दया केंद्र स्थापित किए गए। उन्होंने भगवान महावीर के अहिंसा का संदेश घर घर तक पहुंचाया। लोगों को उनके आदर्शों के अनुसरण का संकल्प लेना चाहिए। सागरमुनि ने भी उनका गुणगान किया। सभा में संघ के कोषाध्यक्ष गौतमचंद दुगड़ एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने संचालन किया।

जर्रे-जर्रे को सुरक्षित रखने का संकल्प ही सच्ची ईद: मुनि कमलेश

मुनि कमलेश ने किया राष्ट्रीय मुस्लिम अहिंसा मंच कार्यकर्ताओं को संबोधित कोलकाता. प्राणी मात्र के हितों की रक्षा के लिए निस्वार्थ भाव से तन, मन और धन न्योछावर कर सब कुछ उनके ऊपर कुर्बान करने की उत्तम भावना जिसमें आती है वही बंदगी का सच्चा उत्तराधिकारी है। प्रकृति का जर्रा-जर्रा खुदा की अमानत है और इसको सुरक्षित रखने का संकल्प लेना ही सच्ची ईद मनाना है। राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने सोमवार को महावीर सदन में राष्ट्रीय मुस्लिम अहिंसा मंच नई दिल्ली के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए। मुनि ने कहा कि मन में उठने वाले विकार, क्रोध, लोभ, अहंकार, ईष्र्या आदि की कुर्बानी देकर सात्विक विचारों से ओतप्रोत होना हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। त्याग और बलिदान से उठने वाली भावना की तरंगे ही भगवान और खुदा के पास पहुंची है, क्योंकि कोई भी वस्तु कोई भी इंसान खुदा के पास नहीं पहुंचा सकता।...

पदवियां छोटी थी रूपमुनि के गुणों के सामने: साध्वीवृदा धर्मप्रभा

चेन्नई. एमकेबी नगर जैन स्थानक में विराजित साध्वीवृदा धर्मप्रभा व स्नेहप्रभा के सान्निध्य में वरिष्ठ प्रवर्तक रूपमुनि के देवलोक गमन के उपलक्ष्य में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। साध्वी धर्मप्रभा ने कहा ऐसे महान संत की क्षतिपूर्ति करना मुश्किल ही नहीं असंभव है। उन्होंने अपने जीवन में जीवदया, मानव सेवा संगठन, समाज सेवा आदि अनेक कार्य किए। उनके गुणों के सामने पदवियां भी छोटी पड़ती हैं। साध्वी ने उनकी जीवनी एवं उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। हमें उनके आदर्शों को जीवन में उतारना चाहिए। सभा में सज्जनराज सुराणा, पारसमल लोढा, भरतकुमार बाघमार, विमलचंद नाहर व मंगलचंद डागा ने भी विचार व्यक्त किए।

जिनशासन के चमकते सितारे थे गुरुदेव रूपचंद: कपिल मुनि

चेन्नई. गोपालपुरम स्थित छाजेड़ भवन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में कपिल मुनि ने देवलोक गमन को प्राप्त श्रमण संघीय वरिष्ठ प्रवर्तक रूपचंद का गुण स्मरण करते हुए बताया कि वे जिनशासन के देदीप्यमान नक्षत्र थे। उनके जीवन का प्रत्येक क्षण और शरीर का कण कण परमार्थ की सेवा में समर्पित रहा इसी वजह से वे जैन जैनेत्तर लोगों के बीच भगवान तुल्य आदर और प्रतिष्ठा पाते रहे। स्व कल्याण के साथ साथ पर कल्याण को जीवन का मुख्य ध्येय बनाकर उन्होंने सम्पूर्ण जीवन का मानवता की सेवा में बलिदान कर दिया। जीव दया के क्षेत्र में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। हजारों मील की पदयात्रा करके उन्होंने जन-जन तक भगवान महावीर के अहिंसा दर्शन को पहुंचा कर अनेक जगह बलि की कुत्सित प्रथा पर रोक लगाई। मुनि ने उनके जीवन की विशेषताओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।

रूपमुनि जीवदया व मानवसेवा के देवता थे: साध्वी धर्मलता

चेन्नई. ताम्बरम जैन स्थानक में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में साध्वी धर्मलता ने कहा गुरुदेव रूपमुनि जीवदया व मानवसेवा के देवता थे। उनके मन में गरीबों के प्रति दया भाव था, यही कारण था कि उन्होंने चिकित्सा, स्वास्थ्य, अध्ययन व मानवसेवा जैसी योजनाएं संचालित की। उनका जीवन अनेक विशेषताओं का संगम स्थल था। अशोक कोठारी, मोतीलाल गांधी, अरविंद-सुरेश गुंदेचा एवं पदमा दरड़ा भीलवाड़ा ने भी उनका गुणगान किया।

विरले महापुरुष ही दुनिया में याद किए जाते हैं: साध्वी कुमुदलता

चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में साध्वी कुमुदलता व अन्य साध्वीवृन्द के सान्निध्य में वरिष्ठ प्रवर्तक रूपचंद के देवलोकगमन के उपलक्ष्य में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। जिसमें साध्वी कुमुदलता ने कहा रूपमुनि की गौरव गाथा को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। संसार के इस रंगमंच पर अनेकों जन्म लेते हैं और विदा हो जाते हैं लेकिन विरले महापुरुष ही दुनिया में याद किए जाते हैं। ऐसे ही महापुरुष थे रूपमुनि। उनकी अच्छाइयों और संघ, समाज व जिनशासन के लिए किए गए उनके रचनात्मक कार्यों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। भले ही देह के साथ वे हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी गौरव गाथा युगों-युगों तक याद की जाएगी। साध्वी पदमकीर्ति, राजकीर्ति के अलावा कई वक्ताओं ने भी उनका गुणगान किया।

गरीबों के मसीहा के रूप में विख्यात थे रूपमुनि: ज्ञानमुनि एवं लोकेशमुनि

वेलूर. यहां स्थित शांति भवन में ज्ञानमुनि एवं लोकेशमुनि के सान्निध्य में श्रद्धांजलि सभा हुई। सभा में ज्ञानमुनि ने रूपमुनि को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे विद्वान, आगमज्ञ एवं गरीबों के मसीहा के रूप में विख्यात थे। जिनशासन के वर्तमान आगमज्ञाता गुरु भगवंतों में उनका नाम गिना जाता है। उनके द्वारा शिक्षा, चिकित्सा, स्वास्थ्य, अन्नदान, वस्त्रदान इत्यादि मानवसेवा की अनेक योजनाएं संचालित हो रही है। करुणा उनके रोम रोम में बसी थी। उनके जीवदया से प्रेरणा लेकर राजस्थान और अन्य राज्यों के अनेक स्थानों में गौशालाएं चल रही है।

बदलाव चाहिए तो इंतजार मत करो: साध्वी मंयकमणि

वेलूर. यहां आरकाट स्थित एसएस जैन स्थानक में विराजित साध्वी मंयकमणि ने कहा आज के समय में व्यक्ति स्वर्ग की चाह तो रखता है लेकिन मरना नहीं चाहता। उसी प्रकार व्यक्ति जीवन में सब कुछ हाासिल करने की इच्छा रखता है लेकिन अगी लगन से मेहनत करने की आती है तो पीछे भागने लगता है। मनुष्य का नर्क और स्वर्ग उसके मरने के बाद तय होता है। लेकिन अगर वह चाहे तो अपने अच्छे कर्मों से हर पल स्वर्ग का आनन्द प्राप्त कर सकता है। जीवन में सफल बनाने के लिए बहुत सारे त्याग करने होते हैं। जो व्यक्ति अपने जीवन को सफल बनाने के लिए बहुत सारे त्याग कर लेता है वह खुद को हमेशा अच्छी जगह ही महसूस करता है। जो इंसान खुद को बदलने की कोशिश करता है वह निश्चित रूप से बदल जाता है। मनुष्य अपनी अज्ञानता से अमूल्य जीवन को बर्बाद करता चला जाता है। इस लिए जीवन को इंतजार में मत व्यर्थ करो।

नर से नारी की क्षमता अधिक है: आचार्य पुष्पदंत सागर

चेन्नई. कोंडीतोप स्थित सुंदेशा मूथा भवन में विराजित आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा पुरुष नारी से ऊंचा नहीं हो सकता क्योंकि उसने नारी से ही जन्म लिया है। नर से नारी की क्षमता अधिक है। नारी मात्र शरीर की अपेक्षा कमजोर है। नर के पास मसल्स पावर है तो नारी के पास आत्मबल है जो पुरुष से भी अधिक है। नारी की उम्र पुरुष से ज्यादा है इसलिए लड़की का विवाह अधिक उम्र के पुरुष से होता है। पुरुष में नारी की अपेक्षा सहनशीलता कम है इसीलिए प्रकृति से शक्ति दी नौ माह गर्भ में बच्चा रखने की।जीवित को विकसित करना, जन्म देना व संघर्ष करना और त्याग-संयम से जीना आदि केवल स्त्री को मिला है। कष्ट झेलने की क्षमता केवल नारी की अधिक है।यह दुर्भाग्य ही है कि नारी ने स्वयं को कमजोर मान लिया है जबकि वह पुरुष से कमजोर नहीं है।

अमृतमय जिनवाणी की वर्षा : वीरेन्द्र मुनि

कोयम्बत्तूर आर एस पुरम स्थित आराधना भवन में चातुर्मासिक प्रवचन की कड़ी में आज राष्ट्रसंत लोकमान्य शेरे राजस्थान वरिष्ठ प्रवर्तक श्री रूपचंदजी म सा की श्रद्धांजलि सभा मे विमलशिष्य वीरेन्द्र मुनि ने धर्म सभा को संबोधित करते हुवे कहा कि नाडोल में भैरू पुरी मोती बाई के यहां पर जन्मे बालक का नाम रूप पूरी रखा था। बाल्यवस्था में उनके मन में अलग ही तरंगे हिलोरे ले रही थी वैष्णव समाज के धर्मगुरु का उनके यहां आना जाना रहता था। उन्हें पसंद आ गये ले आये अपने आश्रम में परंतु वहां रहते हुवे भी मन में शांति नहीं थी। उनका मन आत्मा तो कुछ अलग ही खोज में लगी थी अतः वापस घर आगये आश्रम का प्रलोभन भी उन्हें अपने विचारों से डिगा नहीं सका। उन्हीं दिनों में पूज्य श्री संतोकचंदजी म सा के शिष्य पूज्य श्री कविवर्य शांत मूर्ति श्री मोतीलालजी म सा का प्रवचन चल रहा था। लोगों से सुनकर पहुंच गये फिर तो ऐसी लगन लगी साथ हो ...

श्रद्धान्जलि भावांजलि: वीरेन्द्र मुनि

लोकमान्य राष्ट्र सन्त शेरे राजस्थान जैन दिवाकर वरिष्ठ प्रवर्तक पुज्य श्री रूपचन्दजी म सा रजत का सागारी संथारा सहित देवलोकगमन 18.8.2018 शनिवार को 2.45 am को हो गया है। आज एक महान सन्त ने हम सब को छोड़कर विदाई ले ली है । वीरप्रभु से यही प्रार्थना करते है कि आपश्री शीघ्रही शाश्वत सुख को प्राप्त करे । श्री संघ की ओर से हार्दिक श्रद्धांजलि भावांजलि । *नोट : 18 एवं 19 अगस्त को आराधना भवन में होने वाली क्लास, प्रवचन, शिविर, पाठशाला आदि सभी कार्यक्रम स्थगित किये गए है । मुनिश्री वीरेन्द्र मुनिजी महाराज – व श्री विराट मुनिजी महाराज आदि ठाणा 2 – के सनिध्यमे – 20.8.2018 सोमवार प्रातः 9.00 बजे श्रधांजलि सभा रखा गया है।

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