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रक्षाबंधन राक्षसी वृत्ति त्यागने का पर्व है: आचार्य पुष्पदंत सागर

कोंडीतोप स्थित सुंदेशा मूथा भवन में विराजित आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा राखी का त्यौहार अपनी वृत्ति-प्रवृत्ति बदलने एवं राक्षसी वृत्ति त्यागने का पर्व है। हैवान मत बनो इन्सान बनो। माता-बहनों को बुरी नजर से बत देखो। माता-पिता और भारतीय संस्कृति की रक्षा करना तुम्हारा ही कर्तव्य है।   हमें यह त्यौहार प्रेरणा देने आया है कि हमारा दूसरा जन्म हो सके। इस त्यौहार के तीन नाम हैं-श्रावणी पूर्णिमा, नारियली पूनम एवं रक्षाबंधन। इसे ब्राह्मणों का त्यौहार कहते हैं। ब्राह्मण का अर्थ जातिवाद नहीं बल्कि ब्रह्म का आचरण करने वाला होता है यानी ब्रह्म में रमने की भावना जाग्रत करने वाला। हमारे जीवन में चार त्यौहार आते हैं-रक्षाबंधन, दशहरा यानी क्षत्रियों एवं वीरों का त्यौहार, दीपावली अर्थात वैश्यों का त्यौहार एवं होली यानी शूद्रों का त्यौहार। यह त्यौहार रक्षा संदेश लेकर आया है कि तुम ऊर्जा पुरुष हो। तुम्हारे मे...

चातुर्मासिक प्रवचन की कड़ी: वीरेन्द्र मुनि

कोयम्बत्तूर आर एस पुरम स्थित आराधना भवन में चातुर्मासिक प्रवचन की कड़ी में विमलशिष्य वीरेन्द्र मुनि ने जैन दिवाकर दरबार में धर्म सभा को संबोधित करते हुवे कहा कि भगवान महावीर स्वामी हस्तीशिर्ष नगर के वासियों को 12 व्रतों में से तीसरे व्रत अदतादान चोरी करने का त्याग करने के लिये फरमा रहे थे चोर्य कर्म निंदनीय कर्म है चोरी करने वाले की इज्जत मान सम्मान सब कुछ नष्ट हो जाता है। कोई भी विश्वास नहीं करता चोर को देखकर के सभी डरने लगते हैं। किसी के मकान दुकान में दीवार तोड़कर सामान चुराना ही नहीं यहां तक कि कोई वस्तु बिना मालिक की आज्ञा के नहीं लेना दूसरे के पोटले में से गांठे खोल करके निकाल लेना और ताले में नकली चाबी लगा करके अथवा ताला तोड़कर के बिना इजाजत के लेना भी चोरी कहलाता है। रास्ते में चलते हुवे को लूटना पाकिट मारना चैन खींचना और किसी की वस्तु रास्ते पड़ी हुई है उसे बिना आज्ञा के ग्रहण करना...

गुरु का गुणगान करने से तन, मन और आत्मा तीनो पवित्र होती है:

ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा गंगा में स्नान करने से केवल तन पवित्र होता है। गुरु का गुणगान करने से तन, मन और आत्मा तीनो पवित्र होती है। महान पुरुष प्रारम्भ में लघु फिर विराट और अंत में अनंत हो जाते है। उनका चिंतन युग का चिंतन हो जाता है। हम सभी की दौलत गुरु की बदौलत होती है। गुरु की नसीहत ही हमारी असली वसीहत है। मरुधर केसरी मिश्रीमलजी की 128वीं जन्म-जयंती पर सतीश्री ने कहा की गुरुदेव जीवदया के प्रेमी थे।

समाज का नजरिया बदले में समर्थ थे मरुधर केसरी: प्रवीणऋषि

एएमकेएम परिसर में शनिवार को मरुधर केसरी मिश्रीमलजी की 128वीं जन्म-जयंती उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि व तीर्थेशऋषि के सानिध्य में जप-तप, आराधना और सामायिक साधना के साथ मनाई गई। उपाध्याय प्रवर ने मरुधर केसरी का जीवन परिचय देते हुए कहा कि जब दुनिया में अशांति, पाप, क्रोध और बुराइयां पनपती है, तब-तब दुनिया में मरुधर केसरी जैसे महापुरुषों का आगमन होता है। जिनके पास मर्यादा को जीने का बल और साधना से सिद्ध मंगलपाठ हो तो वे स्वयं के साथ-साथ दूसरों की बाधाएं भी दूर करते हैं। उनके पास परंपराओं से हटकर दृष्टिकोण और समाज का नजरिया बदलने की सामथ्र्य थी। वे मंगलपाठ के साथ मंगल व्यवस्था भी करते थे और जरूरतमंद की सहायता भी। आस्था को ही व्यवस्था का बल मिलता है, वे देखते नहीं थे कि आनेवाला व्यक्ति किस परंपरा का है। प्रवीणऋषि ने कहा, इस संसार के दलदल में गुरुदेव ने जिनशासन के संघ का कमल खिलाया। उनके जीवन में पार...

जीव दया के संदेश के साथ मनाया रक्षाबंधन: साध्वी कुमुदलता

अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी कुमुदलता व अन्य साध्वीवृन्द के सान्निध्य में शनिवार को रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया गया। ‘भाई बहन का प्यार, रक्षा बंधन का त्यौहर’ विषय पर मनाए गए इस पर्व में बहनों ने साध्वीवृन्द के समक्ष भाइयों की कलाई पर राखी बांधी। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। इस दौरान लकी ड्रा के स्वर्ण राखी के विजेता व 10 रजत राखियों के विजेताओं को राखी प्रदान की गई। सबसे बड़ी राखी निर्माता का सम्मान किया गया। कार्यक्रम के सहयोगी परिवार का अभिनंदन व सम्मान किया गया। साध्वी कुमुदलता ने रक्षा बंधन पर विशेष प्रवचन में कहा हमारी भारतीय संस्कृति पर्व और त्यौहारों की संस्कृति है। यहां विभिन्न प्रकार पर्व-त्यौहार मनाए जाते हैं और हर त्यौहार के साथ परंपराएं व इतिहास जुड़ा हुआ है। सावन महीने में मनाए जाने वाले रक्षाबंधन पर्व की व्याख्या करते हुए...

मानव और देव सभी में माया बसी हुई है: साध्वी धर्मप्रभा

एमकेबी नगर में विराजित साध्वी धर्मप्रभा ने कहा संसार में मायाजाल और कपट का साम्राज्य फैला हुआ है। माया से कोई भी अछूता नहीं है। चारों गतियों नरक, तिर्यंच, मानव और देव सभी में माया बसी हुई है। माया कुटिलता का वह विषैला कांटा है जो क्लेश उत्पन्न करता है। उन्होंने कहा मायावी और प्रमादी जीवात्मा का जन्म-मरण कभी खत्म नहीं होता। माया का दंभ करने वाला मरने के बाद नरक गति को प्राप्त होता है। मायावी जीव की कभी सद्गति नहीं होती व कपटी जीव को कभी शांति नहीं मिलती। साध्वी स्नेहप्रभा ने कहा शास्त्रों में जीवों के भावों की परिणति तीन प्रकार की बताई गई है पुण्यरूप, पापरूप और शुद्धोपयोगरूप। इनमें से पहली दो परिणतियां कर्मबंध रूप हैं जबकि तीसरी शुद्धोपयोगरूप परिणति भव सागर से पार करने वाली।

मिश्रीमल व रूपचंद की जयंती मनाई: साध्वी प्रतिभाश्री

साध्वी प्रतिभाश्री व प्रेक्षाश्री के सान्निध्य एवं श्री वर्धमान श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, अरक्कोणम के तत्वावधान में शनिवार को मरुधर केसरी मिश्रीमल व शेरे राजस्थान रूपचंद की जन्म जयंती मनाई गई। इस अवसर पर सहजोड़े जाप अनुष्ठान किया गया। साध्वी प्रतिभाश्री ने गीतिका के माध्यम से दोनों संतों के जीवन प्रसंग पर अपने भाव व्यक्त किए जबकि साध्वी प्रेक्षाश्री ने संत द्वय के जीवन परिचय पेश किया। इस अवसर पर कई वक्ताओं ने दोनों संतों के प्रति अपने भाव व्यक्त किए।

जिनशासन के शृंगार और सजग प्रहरी थे मरुधर केशरी: कपिल मुनि

गोपालपुरम में लॉयड्स रोड स्थित छाजेड़ भवन में कपिल मुनि की निश्रा में श्री जैन संघ, गोपालपुरम के तत्वावधान में शनिवार को श्रमण सूर्य मरुधर केशरी मिश्रीमल की 128 वीं जयंती जप-तप की आराधना के साथ समारोहपूर्वक मनाई गई। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने एकासन, आयम्बिल, उपवास आदि तप की आराधना और 3-3 सामायिक साधना के द्वारा श्रद्धा प्रकट की। कपिल मुनि ने मरुधर केसरी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जनमानस के बीच मरुधर केशरी के नाम से लोकप्रिय मिश्रीमल उस दिव्य और भव्य महामना का नाम है जो जिनशासन के फलक पर सूरज की तरह चमकते रहे। वे जनमानस में व्याप्त अज्ञान के अन्धकार को छिन्न-भिन्न करने वाले प्रकाशपुंज महामानव और जिनशासन के सजग प्रहरी थे । उन्होंने संघ और समाज की बिखरी कडिय़ों को सदैव जोडऩे का अद्भुत कार्य किया। वे सही मायने में अहिंसा के आराधक और संघ समाज सुधारक थे। उन्होंने अपनी...

महापुरुषों के जीवन चारित्र से मिलती है प्रेरणा: गौतममुनि

साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने मरुधर केशरी मिश्रीमल की जयंती के अवसर पर शनिवार को उनका गुणगान गाते हुए कहा कि जीवन को पावन बनाने के लिए महापुरुषों ने धर्म का सुंदर संदेश देकर जीवन को सजाया है। महापुरुषों की जयंती मनाते हुए मनुष्य को उनके जीवन से प्रेरणा भी लेनी चाहिए। इससे मनुष्य को जीवन जीने का तरीका सीखने को मिलता है। उन्होंंने कहा कि अपने जीवन में बदलाव करने के लिए ही महापुरुषों का जन्मदिवस मनाया जाता है। उनके द्वारा दी गई प्रेरणा को मनुष्य को अपने जीवन में उतार कर उनका अनुसरण करना चाहिए। इस प्रकार से मनुष्य भी अपना जीवन स्वच्छ कर सकता है। जीवन चारित्र से जीवन जीने की कला मिलती है, लेकिन यह तभी संभव है जब हम महापुरुषों के जीवन को जानेंगे। मुनि ने कहा कि गुरु भगवंतों से ज्ञान प्राप्त करने के बाद मुनि मिश्रीमल ने लोगों में उस ज्ञान को बांटा था। अपने जीवन को बेहतर कर...

नवकार स्वयं के शुभ व शुद्ध भावों में है: मुनि संयमरत्न विजय

साहुकारपेट के श्री राजेन्द्र भवन में मुनि संयमरत्न विजय व भुवनरत्न विजय ने कहा कि नवकार संप्रदायों में नहीं, स्वयं के बाहर नहीं, नवकार तो स्वयं के शुभ व शुद्ध भावों में, स्वयं की श्वास-श्वास में है। नवकार तो सूर्य की भांति स्पष्ट है, सिर्फ आंखें खोलने की देरी है। वह जड़ता नहीं, जीवन है। जो सोता है, वह खोता है। नवकार में आया हुआ ‘त’ कहता है कि नवकार में नौ तत्वों के अतिरिक्त देव, गुरु और धर्म ये तीन तत्व भी हैं। इन तीनों तत्वों में गुरु तत्व मध्य में है जो हमें देव अर्थात् परमात्मा की पहचान कराने के साथ-साथ धर्म का मार्ग भी बताते हैं। सात वारों में भी गुरुवार मध्य में आता है और जिसकी जन्म-कुंडली में गुरु शक्तिशाली हो, उसके अन्य ग्रह कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते। जो चलता है, वह पहुंचता है जो जागता है वह पाता है। नवकार के भीतर भावात्मक रूप से प्रवेश करना चाहिए जो भावात्मक रूप से नवकार ...

कथनी – करनी में रखे समानता : आचार्य श्री महाश्रमण

माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में बसवा समिति के अध्यक्ष भारत के पूर्व कार्यवाहक राष्ट्रपति श्री बासप्पा दनप्पा जत्ती (बी डी जत्ती) के सुपुत्र श्री अरविंद जत्ती ने *”वचन“* ग्रन्थ को आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में लोकार्पण करते हुए कहा कि 12वीं शताब्दी के संत बसवेश्वरजी के सर्व समानता के समाज का निर्माण करने की कोशिश में उनके विचारों को 173 शरणों में, दोहों में, कविता में लिखा यह ग्रन्थ हैं| दया के बिना धर्म नहीं है, मुझसे छोटा कोई नहीं, आदि अनेक सारगर्भित वचनों का संकलन है| श्री जत्ती ने कहा कि अभी भारत वर्ष में स्वच्छ अभियान चल रहा हैं, हम सब उसमें साथ दे रहे हैं| मगर मैने मोदीजी के आगे ही बताया था कि बसवेश्वर जी के दृष्टिकोण से यह अपूर्ण स्वच्छ भारत होगा| वो आश्चर्य में पड़ गए, तब वचनों के द्वारा मैने उनकों उत्तर दिया कि अंतरंग शुद्धि और बहिरंग शुद्ध...

झूठ नहीं बोलना चाहिये: वीरेन्द्र मुनि

कोयम्बत्तूर आर एस पुरम स्थित आराधना भवन में चातुर्मासिक प्रवचन की कड़ी में विमलशिष्य वीरेन्द्र मुनि ने जैन दिवाकर दरबार में धर्म सभा को संबोधित करते हुवे कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने सुबाहु कुमार आदि को 12 व्रतों का वर्णन करते हुवे भगवान महावीर स्वामी फरमा रहे थे कि लड़के लड़की की उम्र वय गुण अवगुण के विषय में असत्य नहीं बोलना चाहिये। गाय बैल घोड़ा हाथी आदि पशुओं के गुण अवगुण के विषय में झूठ नहीं बोलना चाहिये। खेत मकान आदि जमीन के विषय मैं झूठ का उच्चारण नहीं करना चाहिये। किसी की पूंजी धरोहर वगैरा के विषय में झूठ बोलना और न वही खाते में असत्य लिखना और न कभी भी झूठी गवाई देना जिससे देश में अशांति हो या जाति धर्म पर कलंक का टीका लगे परंतु हम चारों ओर नजर लगा के देखेंगे तो झूठ ही झूठ का राज नजर आयेगा। जहां पर पानी बताते हैं वहां पर कीचड़ भी नहीं मिलता है ऐसा सफेद झूठ का बोल वाला दिखाई देता है...

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