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पाठशाला के बच्चो के लिए “ आनंद मेला”

पाठशाला का नामकरण एवं आनंद मेला का उद्घाटन! गुरुमॉं उपप्रवर्तिनी श्रमणी गौरव पु. चंद्रकला श्री जी म. सा., प्रवचन विभु शासन सुर्या पु. स्नेहाश्रीजी म. सा., दिवाकर दिप्ती पु श्रुत प्रज्ञा श्री जी म. सा. के पावन सानिध्य मे आज पाठशाला के बच्चो के लिए “ आनंद मेला” ( Fun-Fair) का उद्घाटन संघाध्यक्ष सुभाषजी ललवाणी, पुर्वाध्यक्ष संतोषजी कर्नावट, पुनमजी कर्नावट, उपाध्यंक्षा शारदाजी चोरडीया, इनके करकमले द्वारा वरिष्ठ मार्गदर्शक सुर्यकांतजी मुथियान, मोतीलालजी चोरडीया, सचिनजी गांधी, राजेंन्द्रजी खिॉवसरा , चंद्रकांतजी छाजेड प्रकाशजी मुनोत, जयकुमार गांधी, पाठशाला की अध्यापिका सारिका ओस्तवाल, पल्लवी नहार, मनिषा जैन, सोनल सोनी एवं ॲक्टिव ग्रुपकी सदस्या के प्रमुख उपस्थिती मे हुआ! गत पॉंच वर्षोसे नियमित रुपसे चल रही बच्चो की पाठशाला के नामकरण के फलक का अनावरण गुरुमॉं पु. चंद्रकलाश्री जी म. सा. के करकमलो द्व...

युवाचार्य श्री पु. महेंन्द्र ऋषिजी के पाये मंगलमय आशिर्वाद

युवाचार्य पु महेंन्द्र ऋषिजी म. सा. एवं मित भाषी युवा मनिष पु हितेंन्द्र ऋषिजी म. सा. आदि ठाणा चार के दर्शन , मंगलमय आशिर्वाद लेने पनवेल पहुँचे आकुर्डी- निगडी- प्राधिकरण श्री संघ के संघाध्यंक्ष सुभाषजी ललवाणी, पुर्वाध्य़क्ष संतोषजी कर्नावट, विश्वस्त धनराजजी छाजेड, वरिष्ठ मार्गदर्शक सुर्यकांतजी मुधियान, प्रकाशजी मुनोत, जयकुमार ओस्तवाल,पुनमजी कर्नावट, दिपाली जी बागरेचा, गुरुबहना राणी जी भंसालीl

मौन में ही मिलता है ईश्वर का साक्षात्कार: भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज

गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बैंगलोर में चातुर्मास के पावन अवसर पर विराजमान भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने अपने गहन और प्रेरणादायक प्रवचन में कहा कि —“ईश्वर को शब्दों से नहीं, मौन से पाया जा सकता है। जब मन शांत होता है, तब आत्मा ईश्वर के स्पर्श को अनुभव करती है।”गुरुदेव ने बताया कि संसार में मनुष्य अनेक ध्वनियों, विचारों और इच्छाओं से घिरा रहता है। जब तक भीतर का शोर शांत नहीं होता, तब तक सत्य की अनुभूति संभव नहीं। उन्होंने कहा कि मौन कोई कमजोरी नहीं, बल्कि आत्मबल का प्रतीक है। मौन के माध्यम से मनुष्य स्वयं को सुनना सीखता है, और यही सुनना उसे परमात्मा तक पहुंचाता है।डॉ. वरुण मुनि जी ने आगे कहा —“जो व्यक्ति मौन की साधना करता है, उसके भीतर का अहंकार गल जाता है, भाव निर्मल हो जाते हैं, और आत्मा परमात्मा से एकाकार होने लगती है।”उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे झील का पानी शांत होता है त...

देव उठनी का सच्चा अर्थ — आत्मा का जागरण और धर्ममय जीवन की पुनः शुरुआत: भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज

देव उठनी का सच्चा अर्थ — आत्मा का जागरण और धर्ममय जीवन की पुनः शुरुआत: भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बैंगलोर में चातुर्मास के पावन अवसर पर विराजमान भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज द्वारा प्रेरणादायक प्रवचन में कहा कि —“देव उठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है*। उन्होंने कहा कि आज केवल देव नहीं,बल्कि हमें अपने भीतर सोई हुई चेतना को भी जाग्रत करना है। जब मनुष्य अपनी आत्मा के प्रति सजग होता है, तभी सच्चे अर्थों में ‘देव उठनी’ होती है।” मुनिश्री ने फरमाया कि यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान का प्रतीक नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण का उत्सव है। उन्होंने कहा —“जीवन में कर्म और भक्ति, दोनों के बीच संतुलन आवश्यक है। केवल पूजा से नहीं, बल्कि शुद्ध आचरण और सच्चे संकल्पों से ही ईश्वर का साक्षात्कार संभव है।” उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु का यह जागरण ...

मॉं पद्मावती एकासन का समापन

81 तप आराधकों का उपप्रवर्तिनी गुरुमॉं पु. चंद्रकला श्री जी के सानिध्य मे सन्मान! आकुर्डी निगडी प्राधिकरण श्री संघ के प्रांगण मे उपप्रवर्तिनी पु. चंद्रकलाश्री जी, प्रवचन विभु पु. स्नेहाश्री जी म. सा. एवं दिवाकर दिप्ती पु. श्रुतप्रज्ञा श्री जी म. सा. के सानिंध्य मे मॉं पद्मावती एकासन का शिखर समापन आज संप्पन्न हुआl 140 धर्म आराधको ने मॉं पद्मावती एकासन की आराधना प्रारंभ की थी , जिसमे 81 आराधको ने नियमितरुप से स्थानक भवन मे आकर आराधना की उन्हें आज पुनमजी संतोषजी कर्नावट परिवार द्वारा धर्मतिलक, माल्यार्पण एवं आकर्षक भेंट देकर सन्मानीत किया गया! इसी समारेह मे भोजनग्रुह में सेवा देने वाले 6 कर्मियों को भी कर्नावट परिवार के और से सन्मानीत किया गया! इस अवसर पर शारदा जी चोरडीया उत्क्क्रुष्ट मंच संचलन, नेहा भंसाली को समारोह के डिजीटल ऑडियो फ़ोटोग्राफ़ी, मिनलजी नहार, शकुंतलाजी दुगड , राखीजी लोढा को नि...

गोपाष्टमी — करुणा, सेवा और संरक्षण का दिव्य संदेश: भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज

चातुर्मास के पावन अवसर पर श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बैंगलुरु में विराजमान भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने गोपाष्टमी के दिन अपनी अमृत वाणी से समाज को अद्भुत प्रेरणा प्रदान की। महाराज श्री ने अपने गूढ़ और हृदयस्पर्शी प्रवचनों में कहा कि “गोपाष्टमी केवल गौपूजन का पर्व नहीं, यह संवेदना, सह-अस्तित्व और अहिंसा का उत्सव है। गौ माता हमारी संस्कृति, कृषि और आध्यात्मिक जीवन की आधारशिला हैं। उनका संरक्षण और सेवा हमारे जीवन का परम कर्तव्य होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि आज का मानव भौतिक सुखों की खोज में इतना व्यस्त है कि करुणा और सेवा के सच्चे अर्थ को भूलता जा रहा है। गोपाष्टमी हमें यह स्मरण कराती है कि जब तक हम प्रत्येक प्राणी में आत्मा का सम्मान नहीं करेंगे, तब तक सच्चे धर्म की स्थापना संभव नहीं।“गौ माता केवल एक पशु नहीं, बल्कि समस्त सृष्टि की पालनहार शक्ति हैं। उनका दूध, उनका स्नेह और उनका ...

उपप्रवर्तिनी, श्रमणी गौरव पु. चंद्रकलाश्री जी, म. सा.प्रवचन विभु पु. स्नेहाश्री जी म. सा. दिवाकर दिप्ती पु. श्रुतप्रज्ञा श्री जी म. सा.आदि ठाणा 3 के पावन सानिध्य मे शिखर जाप अनुष्ठाण संप्पन्न हुआ

गुरुमॉं, उपप्रवर्तिनी, श्रमणी गौरव पु. चंद्रकलाश्री जी, म. सा.प्रवचन विभु पु. स्नेहाश्री जी म. सा. दिवाकर दिप्ती पु. श्रुतप्रज्ञा श्री जी म. सा.आदि ठाणा 3 के पावन सानिध्य मे शिखर जाप अनुष्ठाण*संप्पन्न हुआ। समोशरण जाप मे अनेक धर्मआराधकेने सहभाग लिया!  समोशरण वो है, जिसमे हर प्राणी मात्र का कल्याण है, मंगल है । इस जाप की उर्जा की अनुभूती अनुभव किया!हर व्यक्ती इस लाभ से संपन्न बने, समृद्ध बने । यह मंगल कामना गुरुमॉं उपप्रवर्तिनी पु. चंद्रकला श्री जी म. सा. ने की! *जिओ और जिने दो* यह भगवान महावीर स्वामीजी का संदेंश साईकल यात्रा से सालों साल करते आये राजेशजी एवं राजश्रीजी तातेड का सन्मान श्री संघ के और से संघाध्यक्ष सुभाषजी ललवाणी एवं उपाध्यक्षा शारदाजी चोरडीया के करकमलों द्वारा किया गया! तातेड दांपत्य कल सुबह चिंचवड से अपनी यात्रा साईकल से  6 बजे प्रारंभ कर युवाचार्य श्री पु. महेंन्द्र ऋषिजी म...

सत्संग: दुखों की औषधि और आत्मा की शांति का मार्ग: भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज

चातुर्मास के पावन अवसर पर श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बैंगलोर में विराजमान भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने अपने प्रेरणादायक प्रवचन में कहा कि —“मनुष्य के जीवन के सारे दुखों का अंत केवल सत्संग और सत्य मार्ग की साधना से ही संभव है।”गुरुदेव ने कहा कि जब मनुष्य सच्चे संतों की वाणी सुनता है, तब उसका अंतर्मन शुद्ध होता है, विचारों में स्पष्टता आती है और जीवन की दिशा बदल जाती है। संसार के भोग-विलास, मोह-माया, और अस्थायी सुख मन को क्षणिक तृप्ति देते हैं, परंतु सत्संग आत्मा को स्थायी शांति प्रदान करता है। महाराज श्री ने आगे कहा —“सत्संग केवल शब्द नहीं, यह आत्मा का स्नान है। जब हम संतों के वचन सुनते हैं, तो भीतर के अंधकार मिटने लगते हैं और दुख अपने आप दूर हो जाते हैं।”उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि जैसे सूर्य का प्रकाश अंधकार को मिटा देता है, वैसे ही संत वचन जीवन के तम को हर लेते हैं। स...

“सॉंस- बहु”सेमिनार का गुरुमॉं उपप्रवर्तिनी पु. चंद्रकला श्री जी के सानिध्य मे

“सॉंस- बहु”सेमिनार का गुरुमॉं उपप्रवर्तिनी पु. चंद्रकला श्री जी के सानिध्य मे आयोजन- “कौन बनेगा ग्यानवान “( KBG) प्रतियोगिता की प्रवचन विभु पु. स्नेहाश्री जी द्वारा संचलन! आकुर्डी- निगडी- प्राधिकरण श्री संघ मे चातुर्मासार्थ विराजीत उपप्रवर्तिनी गुरुमॉं पु. चंद्रकलाश्रीजी म. सा. प्रवचन विभूति पु. स्नेहाश्रीजी म. सा . दिवाकर दिप्ती पु. श्रुतप्रंज्ञाश्री जी म. सा. आदि ठाणा ३ का स्वर्णिम चातुर्मास समापन के ओर अग्रेसर हो रहा है! आज “ सॉंस-बहु” का सम्मेलन बड़ेही उत्साहवर्धक एवं हास्यकल्लोल वातावरण में संप्पन्न ! 30 से अधिक सॉंस बहुओ ने इस समारोह में सहभाग लेकर एक दुजे के प्रति अपनी भावनाएँ एवं सुंखद क्षण एवं अनुभव मर्यादित शब्दो मे प्रेषित किये! भावनाविवश करने वाला यह क्षण था! इसी दरम्यान गुरुमॉं के माध्यम से अनेक धार्मिक प्रश्न पु. स्नेहाश्री जी द्वारा पुंछे गये और सही जबाब देने वाली बहनों को आ...

परमात्मा के नाम के बिना धन-दौलत का कोई अर्थ नहीं —भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज

श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बैंगलोर में चातुर्मास के अंतर्गत भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने अपने आज के प्रेरणादायक प्रवचन में कहा कि —“धन-दौलत, पद-प्रतिष्ठा, और भौतिक सुख — ये सब तभी सार्थक हैं जब उनमें परमात्मा का नाम, भक्ति और सद्भाव जुड़ा हो। अन्यथा यह सब जीवन को केवल बाहरी चमक देता है, आंतरिक शांति नहीं।” मुनि श्री ने कहा कि संसार में मनुष्य धन अर्जित करने में तो निरंतर प्रयासरत है, परंतु ईश्वर-स्मरण और आत्म-ज्ञान को अक्सर पीछे छोड़ देता है। उन्होंने स्पष्ट कहा —“धन से सुख खरीदा जा सकता है, लेकिन शांति नहीं; संपत्ति से मान पाया जा सकता है, लेकिन मोक्ष नहीं।” मुनि श्री ने जीवन का सच्चा उद्देश्य बताते हुए कहा कि जब मनुष्य अपने धन और सामर्थ्य का उपयोग सेवा, सदाचार और सत्कर्म में करता है, तभी वह वास्तव में धन्य कहलाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे दीपक का प्रकाश तभी उप...

धर्म से ही जीवन में दिशा और दृष्टि मिलती है: डॉ. श्री वरुण मुनि जी महाराज

“धर्म रहित जीवन — दीप बिना ज्योति समान” चातुर्मास के पावन अवसर पर श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर, बैंगलोर में विराजमान भारत गौरव डॉ. श्री वरुण मुनि जी महाराज ने आज के प्रभावशाली प्रवचन में धर्म के महत्व पर गहन प्रकाश डालते हुए कहा — “धर्म रहित जीवन ऐसा है जैसे दीप बिना ज्योति — न स्वयं प्रकाशित हो सकता है, न दूसरों को प्रकाश दे सकता है।”मुनि श्री ने समझाया कि जीवन में धर्म केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन का मूल आधार है। धर्म वह शक्ति है जो अंधकारमय जीवन को उज्जवल बनाती है और मनुष्य को उसकी आत्मा के वास्तविक स्वरूप से परिचित कराती है। धर्म से ही जीवन में स्थिरता, शांति, करुणा और संयम जैसे गुण विकसित होते हैं, जो सच्चे सुख का आधार हैं।उन्होंने कहा कि धर्म मनुष्य को बाहरी वैभव नहीं, बल्कि आंतरिक आलोक प्रदान करता है। आज के भौतिकवादी युग में जहां जीवन की गति तेज़ है, वहाँ धर्म ही वह साधन है ज...

श्री जैन रत्न श्राविका मण्डल तमिलनाडु ने पच्चीस बोल पर ज्ञान कार्निवल पदर्शनी का आयोजन किया

चेन्नई : श्री जैन रत्न श्राविका मण्डल तमिलनाडु द्वारा पच्चीस बोल पर आधारित ज्ञान कार्निवल का आयोजन व्याख्यात्री महासतीजी श्री सुमतिप्रभाजी म.सा के चातुर्मास स्थल मुनियप्पा रोड किलपाक पर स्थित सामायिक स्वाध्याय भवन में किया गया | श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ तमिलनाडु के निवर्तमान कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने बताया कि जैन धर्म के पच्चीस बोल पर आधारित पदर्शनी में पच्चीस स्टाल लगाए गए | इस पदर्शनी में स्वाध्याय भवन साहूकारपेट, चूले, वेपेरी, आवडी पुरस्वाक्कम किलपाक, के एल पी अपार्टमेंट ओसवाल गार्डन, चिन्तादरीपेट, पेरम्बूर, कोंडीतोप, अयनावरम, करियानचावडी नंगनल्लूर, वडपलनी, रायपेठा, न्यू आवडी रोड आदि क्षेत्रों से पच्चीस बोल पर आधारित पदर्शनी के स्टाल श्राविकाओं- बालिकाओं ने लगाए | उन्होंने सारे पच्चीस स्टाल का अवलोकन करते अति सुन्दर प्रस्तुति हेतु सभी को साधुवाद ज्ञापित किया | इस पदर...

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