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जीवन-परिवर्तन का पथ:भारत गौरव वरुण मुनि महाराज

भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने अपने अमृतमय प्रवचन से श्रद्धालु जनमानस को आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत कर दिया। सभागार में श्रद्धालुओं की विशाल उपस्थिति यह दर्शा रही थी कि समाज में धर्म, सत्संग और साधना के प्रति गहरी आस्था निरंतर बढ़ रही है। मुनि श्री ने अपने प्रवचन के आरंभ में कहा कि—“जीवन में परिवर्तन तभी संभव है जब मनुष्य अपनी भूलों को सहजता से स्वीकार कर सही दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प ले।” उन्होंने बताया कि सच्चा जीवन-परिवर्तन किसी बाहरी चमत्कार का परिणाम नहीं होता, बल्कि वह आत्म-जागरण, सत्संग, सद्विचार और निरंतर आत्म-साधना का फल होता है। उन्होंने यह भी कहा कि मनुष्य का अंतर्मन ही उसके जीवन की दिशा निर्धारित करता है; यदि मन पवित्र, शांत और संयमित हो तो जीवन स्वयं ही उज्ज्वल हो जाता है। भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने विशेष रूप से चार बातों पर बल दिया— विचारों की पवित्रता – “...

हॉस्पिटल के बाहर अल्पाहार अन्नाधानम का कार्यक्रम

दिनांक 20th गुरुवार 2025 *अमावस्या* के उपलक्ष मैं *जैन सेवा मंडल* बैंगलोर कैंट, कि और से तीमैया रोड स्थित सेठ श्री *किशनलाल फूलचंद लुनिया मेटरनिटी होम”* (“पुअर हाउस हॉस्पिटल”) के बाहर अल्पाहार अन्नाधानम का कार्यक्रम रखा गया ! इस अवसर पर चांदमल जी सियाल, शांतिलाल चुतर, महावीर चंद गादिया, उत्तम चंद लुनावत, ताराचंद लुणावत, अशोक खिवंसरा, प्रदीप मेहता,सुनील पोखरना,महेन्द्र लुनिया, विशाल गादिया, आनंद चुतर, दिनेश लोढ़ा, ललित लोढ़ा, राकेश गुलेच्छा, महावीर बोहरा,हरीश गादिया, महेन्द्र सेन,विजयराज सुराणा, राजेश सोलंकी, भरत मेहता, सुनीता विमल चंद बरलोटा,किशोर कोठरी, अशोक कोठारी, प्रमोद संघवी, प्रवीण गुलेच्छा, सुनिल खिवंसरा, मनोज नणेशा, ललित सोलंकी, राकेश पोखरना, सुनील सुराणा, मांगीलाल, इंदर चंद मेहता, सुरेंद्र जी रातडिया मुथा, मेहता, मनोहर सुराणा, महावीर फुलफगर, जितेंद्र लुणावत, चंदू...

जैन भागवती दिक्षार्थी बहना कु. शितल सोलंकी की अनुमोदना

जिनालय प्रणेता आचार्य पु. विश्वकल्याण जी म. सा. को आदर की चादर प्रदान! आकुर्डी स्थानक भवनमे आज दक्षिण चंद्रिका पु. संय्यमलताजी म. सा. के सानिध्य मे दिक्षा ग्रहण करने वाली दिक्षार्थी बहना कु. शितल सोलंकी का अभिनंदन एवं अनुमोदना समारोह का आयोजन निगडी प्राधिकरण श्री संघ एवं आकुर्डी निगडी प्राधिकरण श्री संघद्वारा किया गया! जैन कॉन्फ़्रेंस पंचम झोन के अध्यक्ष नितीनजी बेदमुथा के नेत्रुत्व मे इस सुंदर समारोह का आयोजन हुआ! दिक्षार्थी बहना की अनुमोदना करने एवं उन्हें मंगलमय आशिर्वाद देने हेतु श्री संघ की बिनती स्वीकार जिनालय प्रणेता आचार्य भगवंत पु. विश्वकल्याण जी म.सा. पधारे एवं अपने उद् बोधन में संय्यम का महत्व विस्त्रुत रुपसे बताते हुये कुँछ द्रुष्टांत उन्होंने इस समारोहमे रखे! दिक्षार्थी बहना कु. शितल जीने अपने संय्यम पथ पर चलने का द्रुढ निच्शय एवं भावनाएँ प्रकट की और आचार्य भगवंत सह पुरे संघ स...

विहार सेवा अनमोल सेवा: भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज

साधु-संत गुलाब जैसे—सभी को समान सुगंध देते हैं “संत चलते-फिरते तीर्थ के समान होते हैं, जिनकी चरण-रज से तीर्थ भी पावन हो जाते हैं।” यह मंगलमय उद्बोधन भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने अपने प्रेरणादायी प्रवचन में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि साधु-संत गुलाब के कोमल और सुगंधित फूल के समान होते हैं—जहां भी जाते हैं, वहां ज्ञान, धर्म, प्रेम, भक्ति और सेवा की सुगंध समान भाव से वितरित करते हैं। जिस प्रकार गुलाब का पुष्प बिना किसी भेदभाव के सभी को अपनी सुगंध देता है, उसी प्रकार साधु-संत, अमीर-गरीब, शिक्षित-अनभिज्ञ, बड़े-छोटे सभी को समभाव से कृपा, आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। डॉ. वरुण मुनि जी ने कहा कि संतों का प्रत्येक कदम लोक-कल्याणकारी होता है। वे नगर-नगर, ग्राम-ग्राम जाकर प्रवचन, सत्संग और धर्मप्रचार के माध्यम से प्रभु-भक्ति, नैतिकता, संयम और जीवन-मूल्यों की अमूल्य शिक्षा जन-जन तक ...

सुराणा परिवार समाजहित का दिव्य आदर्श — डॉ. वरुण मुनि जी 

सेवा, श्रद्धा और समर्पण का अनंत प्रकाश  भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में आज समाज के समक्ष सेवा, समर्पण, विनम्रता और धर्म–उत्थान का अत्यंत प्रेरणादायी संदेश प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि जब कोई परिवार धर्म के प्रति श्रद्धा, समाज के प्रति करुणा और मानवता के प्रति संवेदनशीलता से कार्य करता है, तब उसकी सेवा स्वयं इतिहास में स्वर्णाक्षरों से अंकित हो जाती है। ऐसा ही अनुपम उदाहरण बेंगलुरु का सुराणा परिवार है, जिसने उद्योग, व्यापार, शिक्षा, चिकित्सा और धार्मिक सेवा—सभी क्षेत्रों में अमिट छाप छोड़ी है। चेन्नई या हैदराबाद की ओर जाने वाले राजमार्ग पर स्थित जैन तीर्थ सुशील धाम अत्यंत शांत, सौम्य और दिव्य वातावरण से परिपूर्ण धार्मिक केंद्र है। यह धाम चिंतामणि भगवान पार्श्वनाथ तथा अनेक तीर्थंकर भगवंतों के भव्य मंदिरों से अलंकृत है। जिन शासन अधिष्ठायक देवी–देवताओं के अनेक दि...

समर्पण दिवस मनाया गया

चेन्नई में साहुकारपेट के बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट में स्थित स्वाध्याय भवन में संघ समर्पण दिवस मनाया गया | वरिष्ठ स्वाध्यायी आर वीरेन्द्रजी कांकरिया ने स्वाध्यायीगण को संबोधित करते हुए कहा कि सामायिक स्वाध्याय के प्रबल प्रेरक इतिहास मार्तण्ड बाल ब्रह्मचारी आचार्य भगवन्त पूज्यश्री हस्तीमलजी म.सा की अनमोल कृति जैन धर्म का मौलिक इतिहास में वर्णित किया हैं कि भगवान महावीर स्वामी के छपनवें पट्टधर आचार्य श्री गजसेनजी महाराज के आचार्यकाल में जिनशासन के महान प्रभावक महादानी श्री जगड़ू शाह हुए | दानवीर सुश्रावक जगड़ू शाह ने विक्रम संवत 1315 से त्रिवार्षिक दुष्काल के समय देश भर में 112 भोजनशालाएँ खोलकर अकालग्रस्त जनसाधारण के लिए मानवता की मिसाल स्थापित करते हुए अभूतपूर्व सेवाएं की | प्रतिदिन प्रातःकाल पर्दे के पीछे रहकर दान लेने वाले का मुंह देखे बिना वे मुक्त हाथों से दान देते थे | राजा गुर्जरराज बीस...

स्वाध्याय भवन साहूकारपेट चेन्नई में जिनवाणी पर स्वाध्याय अनुप्रेक्षा कार्यक्रम

16 नवम्बर 2025 रविवार स्वाध्याय अनुप्रेक्षा कार्यक्रम में रत्नवंश के अष्ठम पट्टधर आचार्य भगवन्त पूज्यश्री हीराचन्द्रजी के सुशिष्य मधुर व्याख्यानी श्रदेय श्री गौतममुनिजी म.सा के प्रवचन स्व का ज्ञान स्व की पहचान पर वरिष्ठ स्वाध्यायी आर वीरेन्द्र कांकरिया द्वारा स्वाध्याय- अनुप्रेक्षा की गई | श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ तमिलनाडु के निवर्तमान कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने बताया कि वरिष्ठ स्वाध्यायी बन्धुवर श्री वीरेन्द्रजी कांकरिया ने श्रदेय श्री गौतममुनिजी म.सा के द्वारा प्रवचन में फरमाये गए दशवैकालिक सूत्र के प्रथम अध्ययन की पहली गाथा,धर्म भावना,प्रभु एवं प्रभु के वचनों व अपनी आत्मा के प्रति सच्चे समर्पण भावों का विस्तृत उल्लेख किया | उन्होंने स्वाध्यायी बन्धुवर के प्रति साधुवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि रत्न स्वर्ण महोत्सव के अंतर्गत साप्ताहिक स्वाध्याय अनुप्रेक्षा कार्यक्रम मे...

धन-दौलत नहीं, प्रभु भक्ति ही जाएगी साथ: भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज

सुशील धाम में विराजमान भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में जीवन के मूल तत्वों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संसार में संचित की गई धन-दौलत, पद, प्रतिष्ठा और भौतिक साधन मनुष्य के साथ नहीं जाते, परंतु प्रभु भक्ति से विकसित हुई आत्मिक शक्ति, सद्गुण और पुण्य ही जीव का वास्तविक सहारा बनते हैं। महाराजश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य जन्म बड़ा दुर्लभ है और इसका सर्वोत्तम उपयोग तभी है जब हम अपने कर्मों को पवित्र करें, मन को निर्मल बनाएं और प्रभु के चरणों में स्थिर भक्ति स्थापित करें। उन्होंने कहा कि—“धन जीवन को सुविधा दे सकता है, परंतु भक्ति आत्मा को शांति, स्थिरता और मोक्ष का मार्ग प्रदान करती है। ”उन्होंने आगे कहा कि संसार में देखा जाता है कि लोग संपत्ति और संग्रह में तो बहुत समय व्यतीत करते हैं, किंतु आत्मा के कल्याण की ओर ध्यान नहीं देते। जबकि ...

प्रभु भक्ति से मिलता है जीवन का सच्चा प्रकाश: डॉ. श्री वरुण मुनि जी महाराज

भक्तामर की महिमा और प्रभु भक्ति का संदेश नाकोड़ा अपार्टमेंट में गुजराती जैन संघ के महामंत्री श्री चेतन जी अजमेरा के निवास स्थान पर ओजस्वी प्रवचनकार भारत गौरव डॉ. श्री वरुण मुनि जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भक्ति, पूजा और साधना भारतीय संस्कृति की अनुपम धरोहर हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में भगवान की पूजा, गुरु का सम्मान और अतिथि का आदर—ये तीनों हमारी सभ्यता के अद्भुत स्तंभ हैं। अतिथि को देवतुल्य मानना भारतीय संस्कृति की दिव्य और नैतिक विशेषता है। मुनि श्री ने प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की स्तुति का उल्लेख करते हुए आचार्य मानतुंग द्वारा रचित भक्तामर स्तोत्र की दिव्य, चमत्कारी और कल्याणकारी महिमा का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने कहा—“भक्तामर स्तोत्र केवल श्लोक नहीं, बल्कि भक्त की अखण्ड श्रद्धा का ऊर्जा–स्रोत है, जो आज भी प्रत्येक साधक परिवार के जीवन में प्रकाश...

सत्संग और साधना से होती है मन की शुद्धि : भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी

राजाजी नगर जैन स्थानक में आयोजित धर्मसभा में प्रवचन करते हुए भारत गौरव डॉ. श्री वरुण मुनि जी महाराज ने अपने मंगल प्रवचनों में कहा कि “धर्म स्थान का वास्तविक भाव यह है कि मन में धर्म का निवास हो। धन, विद्या, संपत्ति, रूप और पदवी — इन सब से बढ़कर धर्म श्रेष्ठ है।” उन्होंने कहा कि क्षमा और सत्य से बढ़कर कोई धर्म नहीं होता। आगे मुनि श्री ने धर्मप्रेमी बहनों-भाइयों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि धर्म भवन को भोजनशाला का रूप नहीं देना चाहिए, बल्कि उसे साधना और शुभ चिंतन का केंद्र बनाना चाहिए। मुनि श्री ने समझाते हुए कहा कि सत्संग और साधना से मन की शुद्धि होती है। धर्म केवल धर्म-स्थानों तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आवश्यक है। यदि मनुष्य सत्संग में समय लगाए तो उसका जीवन कल्याणमय बन जाता है; परंतु यदि जीवन विषय-विकारों, मौज-मस्ती और कुसंगति में व्यतीत हो, तो वह जीवन व...

राजाजीनगर में गुरु भगवंतों का मंगल प्रवास — श्रद्धा, भक्ति और आनंद का अनूठा संगम

पूज्य संतों के आगमन से धर्मधारा हुई प्रखर, नवकार महामंत्र जप से गुंजायमान हुआ वातावरण-वरुण मुनि  राष्ट्रीय संत उपप्रवर्तक परम पूज्य श्री पंकज मुनि जी महाराज, भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज एवं मुनिरत्न श्री रूपेश मुनि जी महाराज के पावन मंगल प्रवास से सम्पूर्ण राजाजीनगर क्षेत्र धर्म, भक्ति और साधना के उज्ज्वल आलोक से आलोकित हो उठा। पूज्य गुरु भगवंतों के आगमन से वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा, श्रद्धा और पवित्रता का अनूठा संचार हुआ। दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। नगरवासी, श्रावक-श्राविकाएं तथा दूर-दूर से आए धर्मानुरागी श्रद्धालु पूज्य गुरु भगवंतों के दर्शन व आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु उत्साहित भाव से उपस्थित रहे। श्रद्धालुओं के चेहरे पर गुरु सान्निध्य का उल्लास और हृदयों में आत्मिक आनंद की झलक स्पष्ट दिखाई दे रही थी। राजाजीनगर श्री संघ के महामंत्री श्री नेमीचंद जी दलाल ने जानकारी देते ...

अन्नदान ही सच्ची प्रभु सेवा — भूखे को भोजन कराना ही प्रभु की सर्वोत्तम भक्ति

“सुख प्राप्ति का प्रथम सोपान है अन्नदानम्। नर सेवा ही नारायण सेवा है और जन सेवा ही जिनेंद्र भगवान की सच्ची सेवा है।” — ऐसे मंगल विचार भारत गौरव परम पूज्य डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने राजाजीनगर जैन स्थानक में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।उन्होंने अपने प्रेरणादायी प्रवचन में कहा कि संसार का प्रत्येक व्यक्ति सुख पाना चाहता है और प्रभु महावीर ने सुख प्राप्ति के नौ उपाय बताए हैं, जिनमें प्रथम उपाय अन्न का दान है। लोग मंदिरों में जल, फल, नैवेद्य, छप्पन भोग आदि चढ़ाते हैं, जो श्रद्धा का विषय है; किंतु यदि कोई भूखे को भोजन तथा प्यासे को जल पिलाता है, तो यह भेंट निश्चय ही प्रभु तक अवश्य पहुँचती है।महाराज श्री ने समाज में व्याप्त प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालते हुए कहा — “हम देखते हैं कि विवाह, धार्मिक समारोहों और मृत्यु भोजों में बड़े-बड़े भंडारे और प्रसादी के आयोजन किए जाते हैं, प...

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