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हमेशा जोड़ने की भावना रखें तोड़ने की नहीं: डॉ श्री वरुण मुनि जी

हमेशा जोड़ने की भावना रखें तोड़ने की नहीं: डॉ श्री वरुण मुनि जी

श्री गुजराती जैन संघ गांधीनगर बैंगलोर में चातुर्मास विराजित दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार डॉ श्री वरुण मुनि जी म सा ने रविवार को धर्म सभा में उपस्थित विशाल जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि व्यक्ति को हमेशा जोड़ने की भावना रखनी चाहिए। अपने स्वार्थवश दूसरों को तोड़ने की नहीं।

जब भी देखो केवल अपने को देखो। महावीर बन जाओगे। महावीर बनने का मार्ग है अपने को देखो। जो स्वयं के बजाय दूसरों के अवगुण , बुराईयों को देखते हैं। उनके जीवन का सर्वांगीण विकास रुक जाता है।

उन्होंने कहा कि व्यक्ति का चारित्र जितना श्रेष्ठ होगा उतना ही संघ, समाज एवं परिवार के साथ राष्ट्र की तस्वीर उतनी ही उम्दा और विकसित उन्नत होगी। ज़िन्दगी जीओ तो ऐसे जीओ कि कोई हमारे कारण से हंसे लेकिन हमारे ऊपर नहीं हंसे।

बहु अपने सास की सेवा करें और उनकी आज्ञा का पालन करें और सास भी अपनी बहु को बेटी मानें और अपनापन भरपूर वात्सल्य भाव स्नेह बहु पर लुटाए तो फिर वह घर परिवार हमेशा खुशहाल जीवन जीते हुए सबके लिए एक आदर्श परिवार बन जाता है।

जहां पर सब प्रेम, सौहार्दपूर्ण वातावरण में आनंद मंगल के साथ सबसे कनेक्ट जुड़े रहते हैं और सबके साथ परस्पर सहयोग प्रेम भाव और आदर सम्मान का पात्र बन जाते हैं। व्यक्ति को जोड़ने की कला छोटी सी सुई से सीखनी चाहिए कैंची के समान काटने वाला नहीं बनें।

मुनि श्री ने संघ सेवा में समर्पित किरीट भाई, सुषमा बेन,चेतन भाई और राजेश भाई के साथ सब संघ के पदाधिकारियों और गुरु भक्ति, सेवा समर्पण भावना के लिए सबकी सराहनीय सेवाओं के लिए बहुत बहुत आभार साधुवाद प्रकट किया।

युवा मनीषी मधुर वक्ता श्री रुपेश मुनि जी ने भजन के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए।

उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी महाराज ने सबको मंगल पाठ प्रदान करते हुए सबसे हिलमिल रहकर ज्यादा से ज्यादा धर्म ध्यान जिनवाणी श्रवण करने की प्रेरणा दी।

कार्यक्रम का संचालन राजेश भाई मेहता ने कियाl इस अवसर पर समाज के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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