विरलविभूति प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी के प्रशिष्यरत्न राष्ट्रसंत श्रीमद् विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी महाराज साहब के कृपा पात्र सुशिष्य रत्न श्रुतप्रभावक मुनिराज श्री वैभवरत्न विजय जी महाराज साहब के प्रवचन के अंश ।।
विषय : दीपावली की दिव्यता
१-प्रभु महावीरस्वामी ने स्वयं की चेतना का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के बाद जगत् के सभी जीव पूर्णसुख को पाये और अनंत दुखों से मुक्त हो इसलिए 22000 देशना दी थी ।।
२-दीपावली पर्व का आगमन होना यानि प्रभु महावीर स्वामी के निर्मल ज्ञान से स्वयं के ज्ञान को पाना।।
३- दीपावली पर्व मनाना यानि कि सभी जीवो के साथ मैत्री, स्नेह ,प्रेम सहायता से उनके हित की भावना का अवतरण करना।।
४-दीपावली पर्व में भारत के सभी लोग दीपक का प्रागट्य करते हैं क्योंकि बाह्य दीपक जैसे अंधेरे का नाश करता है वैसे ही ज्ञान रूपी दीपक भी हमारे मन के दोषों का नाश करता ही है ।।
५-प्रभु महावीर स्वामी ने जीवन के सभी रहस्यों को स्वयं ने पाया एवं सभी जीवो को वो पाने का सत्यमार्ग भी प्ररूपित किया।।
६-दीपावली का उत्सव जब हमारे अज्ञान को नाश करें तभी वह हमारे लिए सार्थक सामर्थ्यवान साधना होगा।।
७-विश्व पूज्य प्रभु राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराजा ने स्वयं के शुद्ध ज्ञान, दर्शन , चरित्र के प्रभाव से जगत् के सभी जीवो को आत्महितका का सत्य मार्ग दिखाया और वह मार्ग पर चलने का बल भी दिया।
# स्थल – राजेंद्र भवन चेन्नई
# निमंत्रण – श्री राजेंद्रसूरी जैन ट्रस्ट