*☀️प्रवचन वैभव☀️*
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5️⃣1️⃣
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251)
समर्पण से
सामर्थ्य प्रगट होता हैं.!
252)
दया करुणा को
आत्मसात किये बिना
मात्र क्रिया से धर्मी
नही बन सकते.!
253)
कितना भी
धर्म करो,क्रिया करो,
तप त्याग अनुष्ठान करो,
लेकिन मैत्री मानवता नही है,
तो सब बिना शिखर के
मंदिर जैसा व्यर्थ हैं !
354)
धर्म का प्रारंभ
क्रिया अनुष्ठान से नही,
सम्यक सोच से होता है..!
255)
सद्बुद्धि से सुख
दुर्बुद्धि से दुःख होगा.!
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*प्रवचन प्रवाहक:*
*युग प्रभावक वीर गुरुदेव*
*सूरि जयन्तसेन चरण रज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर