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समय परिवर्तनशील है : मुनि सुधाकर

समय परिवर्तनशील है : मुनि सुधाकर

मुख्य न्यायाधीश परिवार सहित पहुंचे मुनिश्री के दर्शन करने

 तेयूप ने किया भव्य सामायिक साधना का आयोजन

माधावरम्, चेन्नई, मुनि श्री सुधाकरकुमारजी एवं मुनि श्री नरेशकुमारजी के सान्निध्य में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ माधावरम ट्रस्ट के तत्वावधान में आचार्य श्री महाश्रमण तेरापंथ जैन पब्लिक स्कूल में पर्युषण पर्व का तीसरा दिन *सामायिक दिवस* के रूप में मनाया गयाl जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने सामायिक साधना में हिस्सा लियाl मंगलाचरण तेरापंथ युवक परिषद के पदाधिकारी एवं कार्यसमिति सदस्यों ने किया।

 मुनि श्री सुधाकर कुमार जी ने विशाल जनमेदनी को संबोधित करते हुए कहा समय परिवर्तनशील है। किसी के जीवन में एक सरीखी परिस्थितियां नहीं रहती है। उत्थान-पतन व सुख-दुख की लहरें उत्पन्न होती रहती है। धर्म ग्रन्थों में बतलाया है- हमें अनुकूल और प्रतिकूल दोनों क्षणों में *”यह भी सदा नही रहेगा”* का मंत्र याद करना चाहिये। सुख में सोचे- “यह भी सदा नही रहेगा” इसलिए अभिमान करना भूल है। *दुख में सोचे- सुख सदा नहीं रहा तो दुख भी सदा नहीं रहेगा, इस विचार से निराशा की लहर दूर हो जाएगी।* मनुष्य जितना बीमारी से बीमार नहीं होता, उतना *बीमारी का बार-बार स्मरण करने से बीमार होता है।* जब कोई भी बिमारी और समस्या दिमाग पर हावी हो जाती है तो उससे छुटकारा नहीं मिल सकता। हमें प्रतिदिन मैं स्वस्थ हूं, मै आनन्दमय हूं- इस प्रकार का विधायक और पवित्र चिन्तन करना चाहिए। इससे शारीरिक, मानसिक और आध्यामिक स्वास्थ्य की प्राप्ति होगी।

  मुनिश्रीजी ने आगे कहा सामायिक साधना से जीवन में सहजता, समता और संतुलन का विकास होता है। *आत्मा में निवास करने का नाम है सामायिक।* सामायिक से महान कर्म निर्जरा होती है एवं जीवन जीने की कला के सूत्र मिलते हैं। मुनि श्री नरेशकुमारजी ने पार्श्व स्तुति का संगान किया।

  अशोकजी परमार ने बताया आज मुनि श्री सुधाकरकुमारजी से *मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री मुनीश्वरजी भंडारी* माधावरम् स्थित तेरापंथ सभा भवन में मुनिश्री से लगभग एक घंटा 50 मिनट तक मुनिश्री से धर्म, अध्यात्म, योग एवं वैराग्य के विषय पर महत्वपूर्ण चर्चा करते हुए दर्शन, सेवा, उपासना का लाभ लिया। माधावरम ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री घीसुलालजी बोहरा ने जैन प्रतीक चिन्ह से मुख्य न्यायाधीश का सम्मान किया। इस अवसर पर अशोकजी परमार, रमेशजी परमार, भरतजी टाटिया, संतोषजी परमार, पवनजी खिवेसरा, विनोदजी नाहर, सुरेशजी रांका, पुखराजजी चोरडिया, प्रवीण सुराणा, C. P जी छल्लानी, जवरीलालजी बोहरा, जितेंद्रजी पुगलिया उपस्थित थे। श्रीमती करुणाजी भंडारी का सम्मान जैन प्रतीक चिन्ह से श्रीमती आशा रांका ने किया।

  पर्यूषण पर्व व्यवस्था संयोजक श्री सुरेश रांका ने बताया पर्यूषण आवासीय शिविर एवं अखंड जाप का आयोजन भव्यता के साथ समायोजित हो रहा है। रात्रिकालीन कार्यक्रम मे मुनि श्री नरेशकुमारजी ने सम्राट क्षेणिक के जीवन चरित्र पर विशेष प्रकाश डाला एवं टीपीएफ अध्यक्ष श्री राकेश खटेड ने सामायिक पौषध के बारे में अत्यंत रोचक जानकारी दी। उपासक जयंतीलालजी सुराणा ने प्रतिक्रमण कराया।

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