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सफलता संघर्ष से ही हासिल की जा सकती है: जयधुरंधर मुनि

सफलता संघर्ष से ही हासिल की जा सकती है: जयधुरंधर मुनि
जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में चातुर्मासार्थ विराजित जयधुरंधर मुनि ने कहा सफलता संघर्ष से ही हासिल की जा सकती है। सफलता के अनेक सूत्रों में एक सूत्र है – योजना बनाना।
जिस प्रकार एक कलाकार मूर्ति को आकार देने के पहले उसकी कल्पना करता है तत्पश्चात मूर्त रूप देता है, उसी प्रकार हर व्यक्ति को पहले एक योजना बनानी चाहिए कि उसे कौन सा कार्य करना है तत्पश्चात उसे क्रियान्वित करने के लिए पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ में वह कार्य संपन्न करना चाहिए।
कार्य जब तक संपन्न नहीं होता तब तक प्रयास जारी रखना चाहिए। यह सफलता की प्रथम सीढ़ी है। यदि यह चिंतन हर एक के भीतर आ जाए तो उसकी साकारात्मक सोच के द्वारा मंजिल एक न एक दिन अवश्य मिल जाती है। सफलता के लिए प्रणिता एवं वचनबद्धता की भी आवश्यकता होनी चाहिए। साथ ही प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ानी चाहिए।
मुसीबतों में भी जीवन में निखार लाते हुए भयभीत नहीं होना चाहिए। आत्मविश्वास के साथ में किए हुए काम अवश्य अच्छे फल देते हैं। भाग्य भी उनकी मदद करता है जो स्वयं अपनी मदद करते हैं । किसी भी कार्य की सफलता में मनोबल भी दृढ़ होना चाहिए। मन के हारे हार है और मन के जीते जीत।
कहावत के अनुरूप जो अपनी मानसिक शक्ति को जागृत कर लेता है उसकी जीत अवश्य होती है। सच्चे श्रावक अच्छे श्रावक चातुर्मासकालीन प्रवचन श्रृंखला के अंतर्गत श्रावक के 21 गुणों का वर्णन करते हुए चौदहवें गुण के अंतर्गत सत्यवादी हरिश्चंद्र की मार्मिक कथा सुनाएं और प्रेरणा दी कि श्रावक को भी उन्हें के समान न्यायप्रिय और सत्यवादी होना चाहिए।
इससे पूर्व प्रातः काल की वेला में समणी श्रुतनिधि ने जैन अणुप्पेहा ध्यान योग साधना शिविर के अंतर्गत श्रावक – श्राविकाओं को ध्यान का प्रशिक्षण दिया और विशेष ध्यान भी करवाया गया।
ध्यान शिविर आगामी 10 नवंबर तक निरंतर प्रातः 7:30 से 8:30 बजे तक गतिमान रहेगा। मध्यान्ह में जयमल जैन अध्यात्मिक ज्ञान ध्यान संस्कार शिविर का समापन आयोजित किया गया । शिविर में अपनी सेवाएं प्रदान करने वाले ग्यारह अध्यापकों का सम्मान किया गया।
परीक्षा में प्रथम, द्वितीय, तृतीय आने वाले शिवरार्थियों को पुरस्कृत किया गया तथा एवं जिन – जिन शिविरार्थियों ने सामायिक, प्रतिक्रमण, 25 बोल आदि कंठस्थ किए उन्हें पारितोषिक भी प्रदान किए गए । शिविर के संयोजक शांतिलाल लुंकड़ एवं कुसुम ओस्तवाल ने सभी का आभार व्यक्त किया। सोमवार 4 नवंबर को स्वामीवरिय चांदमल महाराज साहब का स्मृति दिवस सामूहिक एकासन के रूप में मनाया जाएगा।

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