आत्मिक सौंदर्य और श्रद्धा ही सच्चा श्रृंगार
श्री गुजराती जैन संघ गांधीनगर में चातुर्मास हेतु विराजित दक्षिण सूर्य दीप्तिमान प्रवचनकर्ता डॉ श्री वरुण मुनि जी म सा ने वीरवार को करवा चौथ के पावन अवसर पर अपने प्रेरक प्रवचनों के माध्यम से श्रद्धालुओं को आत्मसंयम, निष्ठा और आत्मबल का अमूल्य संदेश दिया।मुनि श्री ने कहा कि करवा चौथ केवल उपवास का नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरण और आत्मशुद्धि का पर्व है। यह पर्व परिवार के प्रति समर्पण, प्रेम और विश्वास की भावना को प्रबल बनाता है। उन्होंने कहा — “व्रत केवल शरीर को कष्ट देने का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मा को दृढ़ बनाने का साधन है।
”मुनि श्री ने महिलाओं से आग्रह किया कि वे बाहरी श्रृंगार के साथ-साथ आंतरिक सौंदर्य और आत्मिक संतुलन को भी अपनाएं। उन्होंने समाज को संदेश दिया कि भौतिक सुखों की अपेक्षा आध्यात्मिक मूल्यों को अपनाकर ही सच्चा सुख और शांति प्राप्त की जा सकती है। कार्यक्रम के दौरान मधुर वक्ता रूपेश मुनि जी ने अपने सुरम्य स्वर में भक्ति-भाव से ओतप्रोत भजन प्रस्तुत किए, जिनसे सम्पूर्ण वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा और भावनाओं से परिपूर्ण हो उठा। उनके भजनों की मधुर लहरियों ने उपस्थित श्रद्धालुओं के हृदयों में भक्ति, आनंद और शांति का संचार कर दिया।
इसके उपरांत उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी म.सा. ने मंगल पाठ के माध्यम से सभी को शुभाशीष प्रदान किए। उनके प्रेरक आशीर्वचनों ने श्रद्धालुओं को धर्ममार्ग पर दृढ़ता से अग्रसर रहने की प्रेरणा दी।इस पावन अवसर पर समाज के अनेक गणमान्य नागरिक, श्रद्धालु एवं गुरु भक्तगण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का सुसंयोजित संचालन श्री राजेश मेहता द्वारा किया गया, जिनके संयमित, प्रभावी और गरिमामय संचालन ने आयोजन को विशेष रूप से सफल एवं स्मरणीय बना दिया।प्रवचन के समापन पर मुनि श्री ने सभी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि “हर घर में प्रेम, शांति और सदाचार का दीप सदैव प्रज्वलित रहे — यही करवा चौथ का सच्चा संदेश है।”