विजयनगर स्थानक भवन में विराजित साध्वीश्री प्रतिभाश्रीजी के सानिध्य में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बहुत ही हर्षोल्लास व उमंग से मनाया नन्हे नन्हे बच्चों ने बहुत ही मनमोहक बाल कृष्ण का रूप धारण कर संघ द्ववारा आयोजित प्रतियोगिता में भाग लिया। बच्चों ने मक्खन रूपी बाल प्रभावना की हांडी को फोड़कर कई प्रोत्साहन पुरुस्कार प्राप्त किये। संघ द्ववारा आयोजित इस प्रतियोगिता हेतु वयोवृद्ध वरिष्ठ श्रावको को घेवरचंद कटारिया, शान्तिलाल आंचलिया, आनन्द कुमार नाहर व ट्रस्ट के अध्यक्ष राजेंद्र कोठारी को निर्णायक नियुक्त किये गए। प्रथम, द्वितीय त्रितीय को प्रोत्साहन हेतु पुरुस्कृत किया गया। सबसे छोटे बाल कृष्ण 6माह के युवेन सुराणा को पालने में झुलाया गया। बालिका मंडल द्ववारा इसी पर आधारित डांस के साथ नाटिका प्रस्तुत की गयी। कई श्रावकों ने बच्चों की मनमोहक प्रस्तुति से प्रेरित होकर नगद राशि की घोषणाऐं की।
साध्वीश्री प्रतिभाश्री जी बताया कि धर्मकथा करने से मनुष्य सम्यक्त्व को प्राप्त कर जीवन को सुखी कर सकता है। धर्मकथा संयमित व्यक्ति ही कर सकता है जो विरक्त हो, शुद्ध हो, विशिष्ट हो, जानकर हो, मन से स्थिर व एकाग्र हो, वाणी की मधुरता हो ऐसे 14 गुणों से परिपूर्ण व्यक्ति ही धर्मकथा करने लायक होते हैं।
प्रेक्षाश्रीजी ने बताया कि आत्मा ही परमात्मा है।व्यक्तियों के धर्म के।मार्ग अलग अलग है पर मंजिल सबकी एक ही है परमात्मा तक पहुंचना। जैसे दूध के अंदर मक्खन मौजूद होता है पर दिखता नहीं है उसे पाने के लिए एक विशुद्व प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। ठीक उसी प्रकार आत्मा पर कई कर्मो का मेल जमा रहता है पर सत्कर्मो से आत्मा के विशुद्व रूप परमात्मा को पाया जा सकता है।
साध्वीश्री ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के हमारे जैन धर्म पर बहुत उपकार रहे हैं व हमारे आगमों में कई जगह श्रीकृष्ण का वर्णन आता है। भगवान श्रीकृष्ण हमारे भावी तीर्थंकर भी होंगे। इस हेतु इन महापुरुषों का जन्मोत्सव मनाना हमारे लिए आवश्यक होता है। भगवान श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण जीवन ही सदाचारी का साथ व दुराचारी का विनाश करने हेतु था। बाहर क्षेत्रों से पधारे हुए कई महानुभावो पदाधिकारीयो का चेन्नई के रेडिहल्ली श्री संघ, अंबेश गुरु सेवा समिति के अध्यक्ष लादूलाल ओस्तवाल व मंत्री सुरेन्द्र कुमार आंचलिया, इत्यादि व सभी तपस्यार्थीयों का ट्रस्ट के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार कोठारी ने अभिनंदन किया। संघ के मंत्री कन्हैया लाल सुराणा ने सभी का आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद दिया।