श्री गुजराती जैन संघ गांधीनगर में चातुर्मास विराजित दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार डॉ श्री वरुण मुनि जी म सा ने लेश्याओ के शुभ अशुभ परिणामों पर चर्चा करते हुए कहा कि सभी जीवों में भाव लेश्या परिणामों के साथ बदलती रहती है।सदा शुभ भावों के चिंतन करते हुए अपने व्यक्तित्व को आकर्षक मजबूत बनाया जा सकता है। प्रथम तीन लेश्याए अ प्रशस्त होने के कारण जीव के अधिक पाप कर्म का बंधन करवाती है इसलिए इन तीनों का परित्याग कर देना चाहिए।
अन्तिम तीन लेश्या तेजो,पद्म और शुक्ल लेश्या जीवात्मा को शुभ गति प्रदान करने वाली है। उन्होंने आगे कहा कि व्यक्ति को हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए पाज़िटिव सोच व्यक्ति को सभी क्षेत्रों में सफलता का द्वार खोल देती है। उन्होंने आगे कहा कि शुभ कर्मों का फल शुभ होता है और अशुभ कर्मों का फल अशुभ होता है। जैसी मति वैसी गति और जैसे दृष्टि वैसी सृष्टि का सिद्धांत हम सब पर लागू होता है।
शुभ भावों के पुदगल आपके आस पास के वातावरण को शुद्ध स्वच्छ पवित्र और आपके आभामंडल को भी प्रभावशाली,तेज ओज से प्रभासित कर देते हैं। प्रारंभ में युवा मनीषी मधुर वक्ता श्री रुपेश मुनि जी ने भावपूर्ण रचना प्रस्तुत की। अंत में उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी महाराज ने सबको मंगल पाठ प्रदान किया। इस अवसर पर धर्म सभा में पंजाब से कमलजीत, संजय कुमार कचोलिया, विजय मेहता आदि के साथ हनुमंत नगर, राजाजीनगर, श्रीरामपुरम, गांधी नगर आदि अनेक क्षेत्रों से श्रद्धालु धर्म सभा में उपस्थित थे। संचालन राजेश मेहता ने किया।