उपप्रवर्तक परम पूज्य श्री सिध्दार्थमुनीजी म सा विनम्रता एवं वचनो की मिठास यह व्यक्ति के व्यक्तीमत्व को केवल निर्माण ही नहीं करती तो यह दोनो गुण व्यक्ति के व्यक्तीमत्व को निखारती है चमकाती हैं।
इसलिए अंहम भावो को त्यागकर झुकना सिखों झुकोगे तो बड़े बनोगे विनम्रता ही व्यक्ती को सबसे स्नेह और अपनत्व भाव सिखाती है। अकड़ तो मुर्दे की पहचान है ऐसा मार्मिक चिंतन रात युवाओ से प्रतिदिन की रात्रिकालीन धार्मिक चर्चा तथा क्लास में प्रखर वक्ता संस्कार मंच प्रणेता उपप्रवर्तक परम पूज्य श्री सिध्दार्थमुनीजी म सा ने जैन साधना भवन हडको में दिया ।
विदीत हो की पूज्यनीश्री का चातुर्मास हडको श्रावक संघ जैन साधना भवन औरंगाबाद के तत्वावधान में गतिमान है।
पूज्यनीश्री ने कहा कि आप हम और मैं यह तिन शब्द हमारे जीवन को उंचा उठा सकते हैं । किसी भी कार्य का श्रेय आप सब को देना सीखो मैं ही करुंगा या मैंने ही किया इस भावना को त्यागकर संघ समाज परिवार हो या संगठन यह भावना महत्वपूर्ण है। इसलिए इन शब्दों को और विनम्रता को जिंदगी में अपनाने का संदेश पूज्यनीश्री ने दिया
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