*🌧️विंशत्यधिकं शतम्*
*📚📚📚श्रुतप्रसादम्🌧️*
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छह विगई
१) दूध, २) दही,
३) घी ४) तेल, ५) गोल,
६) कड़ा विगई(मिठाई)
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विगई की
प्रकृत्ति
विकार में
परिवर्तित होना हैं,
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उसके भक्षण से
मोह का उदय होता हैं.!
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मोह के उदय से
आत्म हित चिंतक
पुरुषार्थवंत साधक भी
दुष्कर्म के प्रवृत्त हो जाते है.!
🛑
*देह स्वस्थ,निरोगी*
*मजबूत होते हुए भी*
*स्वाद आसक्ति के कारण*
*जो विगई भक्षण करता है*
*उसके लिये ये निषेध कहा है.!*
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देह कमजोर हो तो,
रोग उपचार चलता हो तो,
विशिष्ट दीर्घ तप चलता हो तो,
शास्त्रों में
गुरु/वडिल की
आज्ञा से उचित मात्रा में
विगई वापरने का विधान है.!
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निष्कारण
विगई वापरने से
परिणाम विकृत बनते है,
विगई की
विकृत्ति से बचने
उपरोक्त कारण के सिवा
विगई नही वापरनी चाहिए.!
*📘श्री पंचवस्तुक ग्रंथ📘*
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*तत्त्वचिंतन:*
*मार्गस्थ कृपानिधि*
*सूरि जयन्तसेन चरण रज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर