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वाणी व्यक्तित्व विकास का सटीक प्रतिबिंब : साध्वी संयमलता

वाणी व्यक्तित्व विकास का सटीक प्रतिबिंब : साध्वी संयमलता

 चंदनबाला तेला तप महायज्ञ में हुए 175 तेले

पर्युषण महापर्व का चतुर्थ दिवस

विजयनगर, बैंगलोर: जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, विजयनगर के तत्वावधान में पर्युषण महापर्व के चतुर्थ दिन दिनांक 23 अगस्त को साध्वी श्री संयमलताजी ठाणा 4 के पावन सानिध्य में “वाणी संयम दिवस” का आयोजन अर्हम् भवन में हुआ।

 धर्म परिषद को सम्बोधित करते हुए साध्वी श्री संयमलताजी ने कि कहा कि वाणी व्यक्तित्व का आईना है। वाणी बोलने वाले के व्यक्तित्व और विकास का सटीक प्रतिबिंब है। संस्कृति को जीवित रखने में भाषा का बहुत महत्व है। आज विदेशी भाषा के अत्यधिक प्रादुर्भाव के कारण हमारी भाषा विकृत होती जा रही है, उसकी मधुरता कम होती जा रही है। हमारी वाणी में संयम होना आवश्यक है, बिना सोचे समझे कुछ भी नहीं बोलना चाहिए। साध्वीश्रीजी ने फरमाया कि इतिहास में अनेक ऐसे उदाहरण देखने मिलते हैं, जब वाणी के असयंम से अनेक समस्याएं उत्पन्न हुई, यहां तक की महाभारत जैसा महायुद्ध भी वाणी असयंम का ही परिणाम था। जिस प्रकार भोजन के लिए नमक आवश्यक है वैसे ही शांति, सौहार्द और प्रेम के लिए वाणी का संयम एवं सम्यक प्रयोग आवश्यक है। साध्वीश्रीजी ने भगवान महावीर के जीव की भव यात्रा के अंतर्गत विभिन्न 15 भवों का उल्लेख किया।

 साध्वी रौनकप्रभाजी ने भगवान महावीर द्वारा बताए दस धर्मो के अंतर्गत मार्दव धर्म का उल्लेख करते हुए कहा इसका अर्थ होता है मृदुता। रिश्तो में मिठास लाने के लिए अच्छा व्यवहार एवं मधुर वाणी आवश्यक है। किसी की गलती बताने से पहले उसकी अच्छाईयों के लिए पीठ अवश्य थपथपाएं।

साध्वी मार्दवश्रीजी ने कहा कि वाणी संयम का अर्थ मौन नहीं है, अपितु बोले, किंतु मधुर और संयमित। वाणी की मिठास एक ऐसी शक्ति है, जो हमें लोगों की स्मृतियों में जिंदा रखती है। इसके साथ ही उन्होंने वाणी संयम पर प्रेरणास्पद पर गीत का संगान किया।

 साध्वी मनीषाप्रभाजी ने ध्यान का प्रयोग करते हुए दान के प्रकारों का उल्लेख किया।

 साध्वीश्रीजी द्वारा नमस्कार महामंत्र एवं ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं द्वारा मंगलाचरण गीत से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। महिला मंडल ने ‘पर्युषण संयम एक्सप्रेस- शब्द चित्र’ की रोचक प्रस्तुति दी।

 साध्वीश्रीजी फरमाया कि पर्युषण काल में आयोजित ‘चंदनबाला तेला तपो महायज्ञ’ में 175 भाई- बहनों ने सहभागिता दर्ज करवाई, जो विजयनगर के लिए गौरव की बात है। श्रावकों की ओर से साध्वीश्रीजी को महाप्रज्ञ इंटरनेशनल स्कूल का ब्राउजर भेट किया गया। कार्यक्रम में सभी संस्थाओं के पदाधिकारी सहित बड़ी संख्या में धार्मिकों की उपस्थिति रही। साघ्वीश्रीजी के मुखारविंद से मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

 समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती

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