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राज्यपाल होंगे मुख्य अतिथि – गुरु अमर संयम अमृत महामहोत्सव के

राज्यपाल होंगे मुख्य अतिथि – गुरु अमर संयम अमृत महामहोत्सव के

अनेक गणमान्य हस्तियां करेंगी समारोह में शिरकत

श्रमण संघीय उपप्रवर्तक प.पू. श्री पंकजमुनि जी म. सा., दक्षिण सूर्य अमर शिष्य डॉ. प.पू .श्री वरुणमुनि जी म.सा., मुनिरत्न, कर्मयोगी श्री रुपेशमुनि जी म.सा.आदि संतजन राजभवन पगलिया करने पधारे । जहां पर कर्नाटक प्रदेश के महामहिम राज्यपाल श्री थावरचंद जी गहलोत ने उनका वंदन- अभिनंदन किया और गुरुदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया । महामहिम राज्यपाल ने कहा कि मैं जैन संतों एवं जैन धर्म के सिद्धांतों से विशेष रूप से प्रभावित हूं । पूरे देश भर में जैन संत गांव-गांव, पांव-पांव चलकर जो धर्म का प्रचार कर रहे हैं, नैतिक मूल्यों की स्थापना कर रहे हैं, समस्त देशवासियों की ओर से हम आपके श्री चरणों में नतमस्तक हैं ।

इस अवसर पर ओजस्वी प्रवचनकार डॉ. श्री वरुणमुनिजी म.सा. ने फरमाया कि आने वाली 5 अक्टूबर को 9 महापुरुषों की जन्म, दीक्षा, पुण्यतिथि, विश्व शांति जप महोत्सव के रूप में मनाई जा रही है । आज पूरे विश्व में शांति की स्थापना समय की मांग है । विश्व शांति की स्थापना के लिए हजारों लोग एक साथ मिलकर जब एक साथ जाप करेंगे तो अवश्य ही वे शुभ परमाणु विश्व शांति की भावना को साकार करेंगे । इस अवसर पर अनेक संप्रदायों के पूज्य साधु-भगवंत भी पधार रहे हैं । पूज्य गुरुदेव ने राज्यपाल को उनके यशस्वी कार्यकाल की शुभकामनाएं संप्रेषित की । इस अवसर पर श्री गुजराती वर्धमान जैन स्थानकवासी संघ के प्रमुखश्री राजेश भाई मेहता, संघ के महामंत्री श्री चेतन भाई अजमेरा एवं कर्मठ कार्यकर्ता श्री मनीषभाई आदि सभी ने महामहिम राज्यपालजी को श्री संघ की ओर से 5 अक्टूबर के इस महामहोत्सव के लिए आमंत्रित किया । महामहिम राज्यपाल श्री थावरचंदजी गहलोत ने खड़े होकर पूज्य गुरुभगवंतों के मुखारविंद से महामांगलिक श्रवण किया एवं आशीर्वाद ग्रहण किया व उनके पदार्पण पर हार्दिक प्रसन्नता अभिव्यक्त की ।

उन्होंने कहा कि गुरु भगवंत के पधारने से यह राजभवन पावन हुआ और आगामी 5 अक्टूबर के गुरु अमर संयम अमृत महामहोत्सव पर मैं अवश्य ही उपस्थित होने की भावना रखता हूं। गांधीनगर श्री संघ के समस्त पदाधिकारीगण एवं सदस्यों ने भी महामहिम राज्यपाल जी की सहज स्वीकृति पर हार्दिक आभार व्यक्त किया । इस अवसर पर पूज्य गुरु भगवंत की महामहिम राज्यपाल जी के साथ धर्म, समाज एवं देश कल्याण के विशेष विषयों पर भी चर्चा वार्ता हुई । महामहिम राज्यपाल जी ने बताया कि पूज्य गुरु भगवंत उत्तर भारत से लगभग 15000 किलोमीटर की पदयात्रा करके दक्षिण भारत में पिछले 10 वर्षों से धर्म प्रभावना कर रहे हैं, वह सचमुच प्रशंसनीय एवं अनुमोदनीय है । जैन धर्म के सिद्धांत न केवल जैन लोगों के लिए वरन् संपूर्ण मानव जाति के लिए श्रेयस्कर हैं।

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