पुज्य जयतिलक जी म सा ने प्रवचन में बताया कि पर्यूषण पर्व का आज चतुर्थ दिवस है। शेष चार दिन बाकी मनोरथ को पूरा कर सके! मोहनिद्रा को भंग करने का सुअवसर। यह पर्व दिन पराक्रम फोड़ने के लिए उपयुक्त है।
“तपसा निर्जराच”, तप से निर्जरा होती है तप में आकांक्षा नहीं करनी चाहिए। किंतु प्राचीन काल में लौकिक आकांक्षा के लिए भी तप किया जाता था। जैसे देवकी माता को शोक संत्पत देखकर अपनी माता की इच्छा पूर्ण करने हेर लघु भ्राता के लिए अट्टम तप किया! ऐसी तपस्या संसार को बढ़ाने वाली होती है घटाने के लिए नहीं। वासुदेव वैसे भी निदानकृत होते है । उनका संसार बढ़ा हुआ ही होता है। वासुदेव जितना भी तप करते है बिना प्रत्याखान के ही। वर्ना वासुदेव तो एक नवकारसी भी नहीं सकते है!
वास्तुदेव श्री कृष्ण पौषधशाला में तेले के तप सहित हरिणगमेषी देव का आहवान किया। हमारे भीतर भी वह आत्म शक्ती है कि देव को आकर्षित कर सके। किंतु हम आत्मशक्ति का प्रयोग नहीं करते है! हमारी मनोवर्गना वचन वर्गना चौदह रज्जू लोक तक पहुँचती है! आज के युग में वैज्ञानिको ने ‘टेलीपैथी “का अविष्कार किया। यह एक विद्या है जिसको दूरस्थ लोगों को भी आकर्षित कर सकती है।
हरणगमेषी देव उपस्थित होकर पूछा क्या आज्ञा है! कृष्ण वासुदेव ने पूछा मेरे एक छोटा सहोदर भाई की इच्छा है क्या यह पूर्ण है सकती है। हरणगमेषी देव ने उपयोग लगकर कहा, हाँ तुम्हारे एक सहोदर भाई होगा जो यौवनावस्था को प्राप्त होते ही दीक्षा ले लेगा। कालान्तर में देवकी माता ने एक सुकोमल बालक को जन्म दिया! उनका नाम गजसुकुमाल रखा जो अत्यंत सुकोमल था। एक बार कृष्ण वासुदेव अर्हंत अरिष्टनेमि के दर्शनार्थ जा रहे थे तो गजकुमाल ने कहा मैं भी साथ चलूँगा। मार्ग में एक
सुकोमल कन्या को देख श्री कृष्ण ने आज्ञा दी यह गजसुकुमाल के योग्य है अत: इसे अंतपुर में पहुँचा दो। भगवान ने देशना दी शेष जनता लौट आई किन्तु गजसुकुमाल वही रुक गये। यह नियम है कि धर्मस्थान में ले जाना शुभ है किंतु वापिस लाना नहीं कल्पता है। गजकुमाल ने अरिष्टनेमि के चरणो में अर्ज की भगवान आपका कथन यथार्थ है सत्य है मैं भी आपके चरणो में दिक्षीत होना चाहता हूँ। भगवान ने फरमाया जैसा सुख हो वैसा करो किंतु धर्म कार्य में विलम्ब मत करो” ! घर पहुँचते ही गजसुकुमाल ने देवकी माता से आज्ञा मांगी। देवकी माता
मोह वश होकर गिर पड़ी! मूर्छा दुर हुई तो फिर से गजसुकुमाल ने वही बात दोहराई। चंदनबाला महिला मण्डल द्वारा धार्मिक संगीत प्रतियोगिता का आयोजन किया। विजेताओ को ईनाम दीया गया। मंत्री नरेन्द्र मरलेचा ने बताया कि कल आचार्य शुभचन्द्रजी म सा की पुण्य स्मृति दिवस तप और त्याग से मनाया जाएगा। और कल्प सुत्र वांचन में महावीर भगवान का जन्म वांचन किया जायेगा। यह जानकारी ज्ञानचंद कोठारी ने दी ।