एक बने आग तो दूसरा बने पानी
यही हैं प्रभु महावीर कि वाणी
माफ़ी मांगने वाला हर हाल मे बड़ा होता हैं – साध्वी स्नेहाश्रीजी का “ क्षमापना” पर्व पर उद्बोधन ! आज आकुर्डी स्थानक भवन मे “ सामुदायिक-क्षमापना” महोत्सव गुरुमॉं पु. चंद्रकला श्री जी म.सा. शासन सुर्या पु. स्नेहाश्रीजी म.सा. एवं मधुरकंठी पु श्रुतप्रज्ञाश्री जी के पावन सानिध्य मे मनाया गया।इस अवसर पर क्षमापना का महत्व विशद कर साध्वी स्नेहाश्रीजी ने बताया एक बने आग तो दूसरा बने पानी यही हैं प्रभु महावीर कि वाणी माफ़ी मांगने वाला हर हाल मे बड़ा होता हैं !वर्ष बीत जाने पर हम कैलेण्डर उतार देते हैं, फिर हम वर्ष बीत जाने पर किसी की कही बात को अपने दिल से क्यों नहीं उतार फेंकते। हम खुद की तो हजार गलतियाँ माफ कर देते हैं, फिर किसी दूसरे की दो चार गलतियों के कारण जीवनभर के लिए नफरत क्यों पालें।
जैसे ब्लेक बोर्ड को टीचर हर रोज साफ कर देता है, वैसे ही हमें भी हर रात को सोने से पहले अपने भीतर के बोर्ड को साफ कर देना चाहिए! इसी प्रकार हम अपने जीवन मे किसी से बोलचाल बंद नही करनी चाहिए! बैर बसाना नही चाहिए! यह जीवन की महकता दर्शाता है! इस समारोह मे “ पॉंच तिर्थंकर” जाप अनुष्ठान हुआ, जिसका लाभ संघाध्यक्ष सुभाष जी ललवाणी कांताजी ललवाणी परिवार ने लिया! नवकार महामंत्र का सामुदायिक जाप हुआ! सौ मेहेर एवं सौ. नंदाजी लुंकड ने क्षमापना पर स्तवन पेश किये!
श्री संघ और से संघाध्यक्ष सुभाष जी ललवाणी ने विश्वस्त मंडल एवं स्वयं के और से साध्वी मंडल की एवं संघ समाज की क्षमायाचना की ! कु ख़ुशी अमित जी मांडोत, सौ लुणावत एवं सौ. कर्नावट ने नऊ उपवास के प्रत्याख्यान लिए! श्री संघ के और से विश्वस्त धनराजजी छाजेड के करकमलो द्वारा तपस्वी बहनो को नवाजा गया!