Sagevaani.com @चैन्नई। मानव भव संसार में दुर्लभ भव है। शनिवार साहूकार पेठ जैन भवन में महासती धर्मप्रभा ने आयोजित धर्मसभा मे श्रध्दांलूओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि संसार मे मनुष्य ही एक ऐसा प्राणीं है जिसमें ईश्वर तक पहुंचने की शक्ति है। दुनिया के सभी जीव मनुष्य शरीर को प्राप्त करना चाहते हैं। लेकिन जिन्हें दुर्लभ मनुष्य शरीर मिला है वे इसकी महत्ता को नहीं जान पाते हैं। और अपने जीवन को यूहीं व्यर्थ में व्यतीत कर देते हैं। इंसान अपनी खोयी हुई दौलत को वापस कड़ी मेहनत करके प्राप्त कर सकता है।लेकिन इस सुरदुर्लभ मनुष्य भव को नहीं प्राप्त कर सकता है। जिंदगी मे परिस्तिथिया अपने कर्मो के आधार पर बदलती रहती है कभी जीवन में सुख है तो कभी दुःख है। सुख और दुःख हमें कोई दुसरा नहीं देता है।
जैसा हम करते है वैसा ही हमे प्राप्त होता है।यह संसार रणभूमि के चक्रव्यूह की तरह है वो मनुष्य ही इस चक्रव्यूह को तोड़ सकता है जिसने धर्म का सहारा ले लिया है तो मनुष्य जन्म मरण के इस चक्रव्यूह से अपनी इस आत्मा को बाहर निकाल लेगा। साध्वी स्नेहप्रभा ने कहा कि मनुष्य का शरीर गंदगी और रोगो का पिटारा है। फिर भी वह अपने शरीर पर गुमान और अभिमान करता है। मनुष्य कितने भी पदार्थ खाले फिर भी उसके शरीर से गंदगी ही निकलने वाली है। मनुष्य का जीवन छोटा सा है और वह प्रतिदिन श्रंगार करके शरीर को संवारता है। शरीर को संवारने से आत्मा पवित्र नहीं बन सकती है।

आत्मा तब पवित्र हो सकती है जब मनुष्य शरीर के द्वारा तप त्याग और धर्म आराधना करेगा तभी अपनी इस आत्मा को संसार सागर से संवार कर इस आत्मा को परमात्मा मे विलय करवा सकता है। श्री संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देते हुए बताया की पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के दौरान अष्टदिवसीय पयूर्षण पर्व मे समस्त भाइयों और बहनों के लिए चौविहार की व्यवस्था साहूकार पेठ के जैन भवन में रखी गई है। पयूर्षण महापर्व मे सभी अधिक -अधिक संख्या मे पधारने का आह्वान करते हुए तप त्याग के साथ विभिन्न धार्मिक गतिविधियों के साथ दिनांक 12 सितंबर से साहूकर पेठ मे पयूर्षण पर्व ऐतिहासिक रूप से मनाएं जाने वाले है।
धर्मसभा मे अनेक भाईयो और बहनों ने उपवास, आयंबिल, एकासन आदि के साध्वी धर्मप्रभा से प्रत्याख्यान लिए थेl उन सभी तपस्यार्थीयो का श्री एस.एस.जैन संघ के अध्यक्ष एम. अजितराज कोठारी, सुरेश डूगरवाल, सुभाष कांकलिया, शांतिलाल दरडा, भरत नाहर, शम्भूसिंह कावड़िया, महावीर ललवानी आदि ने तप की अनूमोदना करतें हुए शब्दों से सभी तपस्वीयो का सम्मान किया।
प्रवक्ता सुनिल चपलोत
श्री एस.एस. जैन भवन साहूकार पेठ चैन्नाई