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मां का संकल्प बनता है संतान के जीवन का दिव्य कवच: भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि

मां का संकल्प बनता है संतान के जीवन का दिव्य कवच: भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि

श्री गुजराती जैन संघ, गांधीनगर में चातुर्मास हेतु विराजमान *भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि* म.सा. ने सोमवार को अहोई अष्टमी व्रत के पावन अवसर पर मातृत्व की दिव्यता और व्रत की आध्यात्मिक महत्ता पर प्रेरणापूर्ण प्रवचन दिए तथा माताओं को मंगल आशीर्वचन प्रदान किए।मुनि श्री ने कहा —“अहोई अष्टमी का यह व्रत मातृत्व की महिमा का जीवंत प्रतीक है।

यह वह दिन है जब मां अपनी संतान की दीर्घायु, आरोग्यता और मंगल जीवन के लिए निस्वार्थ भाव से उपवास रखती है। आज जो माताएँ श्रद्धा और प्रेम से यह व्रत कर रही हैं, वे वास्तव में अपने बच्चों के जीवन में पुण्य और सुरक्षा का दिव्य कवच बुन रही हैं।”मुनि श्री ने सभी माताओं को आशीर्वाद देते हुए कहा —“आप सबकी संतानों का जीवन सद्गुणों, संस्कारों और सफलता से आलोकित हो। आपके व्रत की सात्त्विक भावना आपके घर-परिवार में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रकाश फैलाए। मां का आशीर्वाद सबसे बड़ा वरदान है—आपका यह व्रत उसी वरदान को और सशक्त बनाता है।

”मुनि श्री के आशीर्वचनों से सम्पूर्ण वातावरण भक्ति, करुणा और मातृत्व की पवित्र भावनाओं से परिपूर्ण हो उठा। उपस्थित माताओं ने अत्यंत श्रद्धा के साथ अपने व्रत का संकल्प लिया और जीवन में संयम, सेवा तथा सदाचार को अपनाने की प्रेरणा पाई।कार्यक्रम के दौरान मधुर वक्ता रूपेश मुनि जी म.सा. ने अपने सुरम्य स्वर में भक्ति भाव से ओतप्रोत भजन प्रस्तुत किए, जिनसे सम्पूर्ण वातावरण आध्यात्मिक आनंद से भर उठा। भजनों की मधुर लहरियों ने सभी श्रद्धालुओं के हृदयों को भक्ति एवं भावनाओं से सराबोर कर दिया।

इसके उपरांत राष्ट्र संत श्री पंकजमुनि जी म.सा. ने मंगल पाठ प्रदान कर सभी को आशीर्वाद स्वरूप शुभकामनाएँ दीं। उनके वचनों ने उपस्थित जनों को धर्ममार्ग पर अडिग रहने तथा जीवन में करुणा, संयम और सादगी को अपनाने की प्रेरणा दी।कार्यक्रम का सुसंगत संचालन श्री राजेश मेहता ने किया।

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