श्री गुजराती जैन संघ गांधीनगर में चातुर्मास विराजित दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार डॉ श्री वरुण मुनि जी म . सा. ने धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि महापुरुषों का जीवन जगत के प्राणी मात्र के लिए एक आदर्श प्रेरणा स्त्रोत होता है। उन्होंने श्रमण सूर्य मरुधर केसरी पूज्य प्रवर्तक श्री मिश्रीमल जी महाराज की 135वीं जन्म जयंती पर उनके बहुआयामी व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मरुधर केसरी श्री मिश्रीमल जी महाराज मानवता के सच्चे मसीहा थे।
उनके सद्प्रेरणा में जीवदया, मानव सेवा और गौशाला, स्कूल, कालेज, आदि समाज सेवा, उत्थान में समर्पित अनेकों धार्मिक, सामाजिक, पारमार्थिक संघ संस्थाएं वर्तमान में भी अनेक स्थानों पर सुन्दर रूप से संचालित गतिमान है।
लोकमान्य सन्त , वरिष्ठ प्रर्वतक श्री रुप मुनि जी महाराज की 98वीं जन्म जयंती पर उनके गुणानुवाद करते हुए कहा कि वे आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत महान साधक सन्त शिरोमणि थे। छतीस कौम उन्हें अपना मानकर आदर सेवा सम्मान देती थी।
उन्होंने आगे कहा कि संयम सौम्यता के प्रकाश से समाज एवं राष्ट्र को लाभान्वित करने वाले पूज्य गुरुदेव श्री सुभद्र मुनि जी महाराज का जन्म 12 अगस्त,1951 को हरियाणा की विख्यात भूमि रिंढाणा ग्राम में हुआं है। आगम रत्नाकर , महाश्रमण, जैन धर्म प्रभावक, विधा वाचस्पति आदि अनेक विशेषण एवं उपाधियों से विभूषित व्यक्तिव का नाम है पूज्य गुरुदेव श्री सुभद्र मुनि जी महाराज।
आप आगम शास्त्रों दर्शनो के ज्ञाता,गहन दार्शनिक, और सहज कवि हृदय सन्त शिरोमणि रत्न है। प्रारंभ में युवा मनीषी मधुर वक्ता श्री रुपेश मुनि जी ने अपने विचार व्यक्त किए। उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी महाराज ने सबको मंगल पाठ प्रदान किया। संचालन राजेश मेहता ने किया।