*☀️ प्रवचन वैभव☀️*
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*💧 पर्युषण तत्त्वधारा-13💧*
236)
जो प्राप्त हुआ है
उसके अहंकार को *मद..*
जो हम नही है या
जो हमारे पास नहीं है
फिर भी अहंकार करना
उसको मान कहते है.!
237)
मद एवं मान के
कटुफल तीर्थंकर को भी
भुगतने पड़े हैं ये भूलना मत..
238)
नयसार के
कल्याण का कारण
संत समागम और
मरीचि के पतन का
कारण था लोभ और मद
239)
देह की
शिथिलता के कारण
जो दोष लगे वह क्षम्य है
मन की शिथिलता के कारण
जो दोष आते है वह अक्षम्य हैं.!
240)
जो भीतर से
शुष्क हो उसके
बाहरी मीठे व्यवहार में
कोई सार नही होता..!
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*प्रवचन प्रवाहक:*
*तीर्थ प्रभावक वीर गुरुदेव*
*सूरि जयन्तसेन चरण रज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर