भक्ति करने से मन को शांति मिलती है, हृदय शुद्ध होता है, और आत्मा को आनंद की प्राप्ति होती है। – साध्वी स्नेहा श्री जी का उद्बोधन! इसके अतिरिक्त, भक्ति से मनुष्य के सभी प्रकार के पापों का नाश होता है, और वह अंदर और बाहर से शुद्ध हो जाता है।
भक्ति का अर्थ है भगवान के प्रति समर्पण, निस्वार्थता, विनम्रता और श्रद्धा। जब कोई व्यक्ति सच्चे मन से भक्ति करता है, तो उसे ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है, और उसके जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
भक्ति के कई लाभ हैं:
मन को शांति:
भक्ति करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है.
आंतरिक शुद्धि:
भक्ति से हृदय शुद्ध होता है और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है.
आत्मा को आनंद:
भक्ति करने से आत्मा को आनंद और संतुष्टि का अनुभव होता है.
पापों का नाश:
भक्ति से मनुष्य के सभी प्रकार के पापों का नाश होता है.
ईश्वर की कृपा:
सच्चे मन से भक्ति करने से ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है.
कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति:
भक्ति से मनुष्य को जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है.
सकारात्मक दृष्टिकोण:
भक्ति से मनुष्य का दृष्टिकोण सकारात्मक होता है और वह जीवन को बेहतर तरीके से देखता है.
भक्ति का कोई निश्चित तरीका नहीं है। यह किसी भी रूप में की जा सकती है, जैसे कि पूजा-पाठ, मंत्र जाप, ध्यान, सेवा, या भगवान के नाम का स्मरण. मुख्य बात यह है कि भक्ति सच्चे मन से की जाए और उसमें समर्पण और श्रद्धा हो.भक्ति या समर्पण के कई रूप हैं। प्रार्थना, पूजा, जप, कीर्तन, अनुसंधान, ध्यान, आत्म-समर्पण ये सभी भक्ति के रूप हैं। भक्ति का अर्थ है ईश्वर के समक्ष स्वयं को प्रकट करना। जितना अधिक आप स्वयं को प्रकट करेंगे, उतना ही अधिक मार्गदर्शन आपको (अंदर से) प्राप्त होगा और उतनी ही अधिक शक्ति आप प्रकट करेंगे।