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पहले कपड़े सिलाकर पहनते थे अब फाड़कर पहनते है: महासति दिव्यज्योतिजी म.सा.

पहले कपड़े सिलाकर पहनते थे अब फाड़कर पहनते है: महासति दिव्यज्योतिजी म.सा.

 नागदा जं. निप्र- महावीर भवन में महासति दिव्यज्योतिजी म.सा. एवं पूज्य काव्याश्रीजी म.सा. ने वर्तमान समय में नग्नता पर प्रहार करते हुए कहा कि पुराने समय में लोग सभ्यता, शिष्टाचार, संस्कारों से भरपुर अपने कपड़े सिलाकर पहनते थे अब मानव अपनी सभ्यता को भूलकर फैशन के नाम पर कपड़ो को फाड़कर या कारी लगाकर पहनते है। और सभ्य होकर असभ्यता का परिचय देते है। आपने कहा कि शरीर के रोगो को दवाईयों एवं रसायनों से ठीक किया जा सकता है लेकिन मन एवं मानसिक रोगों का कोई ईलाज नहीं है। वे ही अच्छे को खराब करने का कार्य करते है।

 मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड एवं नितिन बुडावनवाला ने बताया कि तपस्वि भाई तुषार राजा कर्नावट का चातुर्मास अध्यक्ष सतीश जेन सांवेरवाला एवं अरविंद नाहर ने सम्मान किया। अतिथि सत्कार का लाभ वर्धमानजी मुकेशजी धोका ने लाभ लिया। संचालन श्रेणीक बम ने किया। तेले की लड़ी में पहला उपवास श्रीमती रेखा रवि कांठेड ने किया। आभार श्रीसंघ अध्यक्ष प्रकाशचन्द्र जैन लुणावत सांवेरवाला ने माना।

 धर्मसभा में गंभीरमल पावेचा, अनुज कांठेड, रमेश तरवेचा, सुभाष छोरीया, अशोक कोलन, मनोज चपलोत, श्रीमती इन्दु पावेचा, विजया बहन सांवेरवाला, उर्मिला खिंदावत, अलका रूबी गोखरू, सैजल चपलोत, आशा नवादा वाला एवं रेशमबाई भटेवरा आदि उपस्थित थे।

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