‘पर्युषण पर्व’ आत्म शुद्धि व आत्म जागरण के पर्व हैं। इन आठ दिनों में “श्रीमद् अन्तकृत दशांग सूत्र” का बहुत श्रद्धा-भक्ति पूर्वक वाचन श्रवण किया जाता है। इस धर्मग्रंथ में उन 90 महापुरुषों के जीवन चारित्र का वर्णन आता है, जिन्होंने समस्त कर्मों का क्षय कर जन्म-मरण- पुनर्जन्म का अंत किया तथा केवलज्ञान (ब्रह्म ज्ञान) को प्राप्त किया। यह विचार श्रमण संघीय उप प्रवर्तक पंकज मुनि ने जैन भवन, साहुकारपेट में पर्युषण पर्व के प्रथम दिन व्यक्त किए। उन्होंने कहा 12 महीने हम तन को खिलाते-पिलाते सजाते हैं। ये 8 दिन आत्मा को सजाने का पर्व है।
ओजस्वी वक्ता डॉ. वरुण मुनि ने जम्बू स्वामी जी का जीवन चरित्र बहुत ही सुंदर व रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। इसी के साथ उन्होंने कहा पर्युषण पर्व के इन आठ दिनों में प्रतिक्रमण, तप आराधना, दान, क्षमा एवं आत्म आलोचना तथा जीव दया आदि सद्गुणों की विशेष आराधना करनी चाहिए। रूपेश मुनि ने श्री कल्प सूत्र की वाचना देते हुए कहा कि कल्प सूत्र तो वर्तमान में कल्पवृक्ष के समान है। इसे बारसा सूत्र भी कहा जाता है।
जिसमें 24 तीर्थंकर भगवंतों के जीवन चरित्र बताए गए हैं। हमें उन महापुरुषों से प्रेरणा लेनी चाहिए। लोकेश मुनि ने बताया इस दिन सैंकड़ों भाई बहनों ने उपवास, एकाशना, बयासना, आयंबिल एवं पौषध के पंचखान ग्रहण किए। संघ के उपाध्यक्ष पृथ्वीराज बागरेचा व कोषाध्यक्ष के विजयराज दुग्गड़ ने बताया श्री संघ के प्रांगण में 192 घंटे का नवकार महामंत्र का अखंड जाप बहुत ही सुंदर ढंग से गतिमान है।