श्री गुजराती जैन संघ गांधीनगर में चातुर्मास विराजित दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार डॉ श्री वरुण मुनि जी म.सा. ने पर्व पर्यूषण आराधना के चौथे दिन धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि नशा नाश का द्वार है। नशे के कारण व्यक्ति के साथ उसके परिवार की सुख शांति भी भंग हो जाती है। इतिहास में अनेकों उदाहरण मिलते हैं जहां नशे व्यसनों के चक्कर में पड़ कर अनेकों जिन्दगीया बर्बाद हो गयी।उनका समूल नष्ट हो गया केवल इस नशे की बुरी आदतों के कारण। सुरा और दैपायन ऋषि के क्रौध के कारण ही द्वारका नगरी का विनाश हुआ।
मुनि श्री ने देश एवं समाज के सभी युवाओं को आव्हान करते हुए कहा कि आप सभी आज अभी ही नशें रुपी भयंकर बुरी आदत को छोड़कर सरल, सादगी से अपना जीवन यापन करें। जो आपको दुर्गति में जाने से बचा सकता है और इसमें आपके साथ आपके परिवार में भी सदा सुख शांति समृद्धि और खुशहाली का माहौल बना रह सकता है। उन्होंने कहा कि आज भी हम सब देखते हैं कि इस शराब, जुएं, ड्रग्स, तंबाकू बीड़ी सिगरेट और गुटके की बुरी आदतों व्यसनों में फंसकर अनेकों ज़िन्दगीया रोज बर्बाद और खत्म हो रही है।
सरकार और सभी को अपने स्तर पर इस महाविनाशकारी दुष्प्रृवरतिययो पर रोक लगाने के लिए आगे आना चाहिए और इस नशे की बिमारी को जड़ मूल से उखाड़ फेंकना चाहिए। तभी हमारा देश, समाज, परिवार सदा हमेशा सुख शांति,अमन, चैन के साथ खुश हाल जीवन व्यतीत कर सकेगा। प्रारंभ में युवा मनीषी मधुर वक्ता श्री रुपेश मुनि जी ने अंतगड सूत्र का वाचन किया। उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी महाराज ने सबको मंगल पाठ प्रदान किया। संचालन राजेश मेहता ने किया।